राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।किसानों को 2024 के बजट से बहुत उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने उन्हें निराश किया है। अंतरिम बजट में खेती किसानी की लागत कम करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। बजट में पेट्रोल-डीजल से लेकर खाद के दामों में कोई कटौती नहीं है। महंगाई कम करने की कोई बात नहीं है। किसान सिर्फ कागजों पर नजर आता है। नई संसद में पुराने ढर्रें पर पेश अन्तरिम बजट केवल चुनावी बजट है।  किसान सम्मान निधि को बढ़ाया नहीं गया है, दुसरी तरफ अधिकांश किसानों की फसलों  को एमएसपी पर खरीदा नहीं जाता, इससे किसानों को लगातर आर्थिक घाटा हो रहा है। किसानों की निगाहें एमएसपी गारंटी पर थी जो नहीं मिली। इससे किसानों में असंतोष है। पीएम ने किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन आज किसानों पर 20 लाख करोड़ से अधिक ऋण हो गया है। 2023 बजट में जैविक खेती को बढ़ाने की बात कही गई थी, उससे पहले 2015-16 के बजट की तो वहां पर जीरो बजट खेती की बात कही गई थी, जोकि कहीं नजर नहीं आई। इस बात से यह साफ होता है कि देश में कहीं भी बजट पर अमल नहीं होता है।

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