प्रधानमंत्री ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में काशी सांसद संस्कृत
प्रतियोगिता, ज्ञान प्रतियोगिता, फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं से संवाद किया

प्रधानमंत्री ने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया

प्रधानमंत्री ने स्मारिका एवं काॅफी टेबल बुक का लोकार्पण
किया, विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की राशि के चेक प्रदान किये,
‘संवरती काशी’ विषयक फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया

मुख्यमंत्री ने स्मृति चिन्ह भेंट कर तथा अंगवस्त्र पहनाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया

काशी सर्वविद्या की राजधानी, काशी का सामथ्र्य और स्वरूप
फिर से संवर रहा, यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात: प्रधानमंत्री

कालातीत तथा समय से प्राचीन काशी नगरी की
पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी के साथ सशक्त कर रही

महामना के प्रांगण में सभी विद्वानों खासकर युवा विद्वानों के
बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा

महादेव के आशीष के साथ 10 साल में काशी में चहंुमुखी विकास
का डमरू बजा, काशी कितनी तेजी से बदली, उसे सभी ने देखा

काशी केवल आस्था का तीर्थ नहीं, यह भारत की शाश्वत चेतना का जागृत केन्द्र

भव्य रूप में काशी विश्वनाथ धाम भारत को निर्णायक भविष्य की
ओर ले जाने के लिए एक बार फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा

ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का
सबसे अधिक योगदान रहा, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख भाषा

जिन वेदों का पाठ काशी में होता, वही वेद पाठ
कांची में सुनाई देता, वेद भारत के शाश्वत स्वर

अगले पांच वर्षाें में देश आत्मविश्वास के साथ विकास
को नई रफ्तार देगा, सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा

काशी में करोड़ों की संख्या में पर्यटकों का आगमन होता, उनके
लिए बड़ी संख्या में गाइडों की आवश्यकता पड़ती, उत्तम से
उत्तम गाइड के लिए प्रतियोगिता आयोजित होनी चाहिए

प्रधानमंत्री जी प्रभु श्रीरामलला को अयोध्याधाम
के भव्य मंदिर में विराजमान कराकर यहां आये: मुख्यमंत्री
विगत 10 वर्षों में काशी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान
को बनाए रखते हुए दुनिया के सामने नए कलेवर के साथ आयी

एक लोकप्रिय सांसद के रूप में अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों का
सड़क पर उतरकर अवलोकन करते हुए किसी प्रधानमंत्री को पहली बार देखा

जब दुनिया सो रही थी, तब प्रधानमंत्री जी जनता के हित
के लिए जागते हुए कार्य कर रहे थे, यह उदाहरण कि कैसे
एक जन नेता जनमानस का विश्वास अर्जित कर सकता

महामना मदन मोहन मालवीय जी की इच्छा थी कि काशी सर्व
विद्या की राजधानी बने, यह कार्यक्रम उनकी इच्छा का मूर्त रूप

लखनऊ: 23 फरवरी, 2024


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि काशी सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का सामथ्र्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है। यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। कालातीत तथा समय से भी प्राचीन काशी नगरी की पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी के साथ सशक्त कर रही है। यह दृश्य हृदय में संतोष व गौरव की अनुभूति कराता है तथा यह विश्वास भी दिलाता है कि अमृतकाल में सभी युवा देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि महामना के इस प्रांगण में सभी विद्वानों खासकर युवा विद्वानों के बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा है।
प्रधानमंत्री जी आज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के स्वतंत्रता भवन में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता तथा काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं से संवाद कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया। उन्होंने सांसद संस्कृत, सांसद ज्ञान तथा सांसद फोटोग्राफी की स्मारिका एवं काॅफी टेबल बुक का लोकार्पण भी किया। इस दौरान उन्होंने तीन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की राशि के चेक प्रदान किये। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री जी ने काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के अन्तर्गत आयोजित ‘संवरती काशी’ विषयक फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने स्मृति चिन्ह भेंट कर तथा अंगवस्त्र पहनाकर प्रधानमंत्री जी का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सब निमित्त मात्र हैं, यहां करने वाले केवल महादेव और उनके गण हंै। जहां महादेव की कृपा होती है, वह धरती समृद्ध हो जाती है। इस समय महादेव खूब प्रसन्न हैं, इसलिए महादेव के आशीष के साथ 10 साल में काशी में चहुंमुखी विकास का डमरू बजा है। पूरी दुनिया से लोग शांति की तलाश में काशी आते हैं। भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी अनुभूति है।
प्रधानमंत्री जी ने काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, सांसद ज्ञान प्रतियोगिता तथा फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विजेताओं व उनके परिजनों तथा गुरुजनों को बधाई देते हुए कहा कि प्रतिभागी काशी की ज्ञान परम्परा का हिस्सा बनकर प्रतियोगिता में शामिल हुए। यह स्वयं में बहुत बड़ा गौरव है। उन्होंने प्रतियोगिता में सफलता से वंचित युवाओं का भी अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रतिभागी न तो हारा है और न ही पीछे रहा है। इस भागीदारी के जरिये कुछ न कुछ नया सीखने को प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री जी ने श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास, काशी विद्वत परिषद तथा सभी विद्वानों को आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि सांसद के रूप में उनके विजन को साकार करने में आप सभी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। विगत 10 वर्षाें में काशी में किये गये विकास कार्याें तथा काशी की सम्पूर्ण जानकारी पर आधारित आज यहां दो काॅफी टेबल बुक भी लाॅन्च की गई हंै। इसमें यहां हुए विकास के हर पड़ाव और संस्कृति का वर्णन किया गया है। इसके अलावा, जितनी भी सांसद प्रतियोगिताएं काशी में आयोजित की गई हैं, उन पर भी छोटी-छोटी पुस्तकें लाॅन्च की गई हैं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मंच पर आने से पहले उन्होंने काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता की गैलरी देखी। विगत 10 वर्षाें में विकास की गंगा ने काशी को सींचा है। काशी कितनी तेजी से बदली है, उसे आप सभी ने साक्षात देखा है। काशी केवल आस्था का तीर्थ नहीं, यह भारत की शाश्वत चेतना का जागृत केन्द्र है। एक समय था, जब भारत की समृद्धि की गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी। इसके पीछे भारत की आर्थिक ताकत ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक ताकत भी थी। काशी जैसे तीर्थ और विश्वनाथधाम जैसे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करते थे। यहां साधना, शास्त्रार्थ, संवाद और शोध होते थे। संस्कृत के स्रोत तथा साहित्य व संगीत की सरिताएं थीं।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत ने जितने भी नये विचार और विज्ञान दिये उनका सम्बन्ध किसी न किसी सांस्कृतिक केंद्र से था। काशी शिव की नगरी, बुद्ध के उपदेशों तथा जैन तीर्थंकरों की भूमि है। आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध प्राप्त हुआ। दुनिया के कोने-कोने से लोग ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में काशी आते हैं। हर प्रांत, बोली, भाषा और रीति-रिवाज के लोग काशी आते रहे हैं। जहां इतनी विविधिता होती है, वहीं नये विचारों का जन्म होता है। जहां नये विचार पनपते हैं, वहीं प्रगति की संभावना पैदा होती है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के समय उन्होंने कहा था कि यह धाम भारत को निर्णायक दिशा देगा। भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर लेकर जाएगा, आज यह दिख रहा है। अपने भव्य रूप में काशी विश्वनाथ धाम भारत को निर्णायक भविष्य की ओर ले जाने के लिए एक बार फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा है। इस परिसर में देशभर के विद्वानों की विद्वत संगोष्ठियां हो रही हैं। मंदिर न्याय शास्त्रार्थ की परम्परा को पुनर्जीवित कर रहा है। इससे देशभर के विद्वानों में विचारों का आदान-प्रदान बढ़ रहा है। काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी इसी प्रयास का हिस्सा है। संस्कृत पढ़ने वाले हजारों युवाओं को पुस्तकें, यूनिफाॅर्म और आवश्यक सुविधाओं के साथ छात्रवृत्ति दी जा रही है। शिक्षकों को भी सहायता प्रदान की जा रही है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम, काशी तमिल संगमम् और गंगा पुष्करुलु जैसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियानों का हिस्सा बना है। आदिवासी सांस्कृतिक आयोजन के जरिये आस्था के इस केन्द्र से सामाजिक समावेश के संकल्प को ताकत मिल रही है। काशी के विद्वानों और विद्वत परिषद् द्वारा आधुनिक विज्ञान के लिए नये शोध किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया है कि शीघ्र ही मंदिर न्यास शहर के कई स्थानों पर निःशुल्क भोजन की भी व्यवस्था करने जा रहा है। मंदिर यह सुनिश्चित करेगा कि मां अन्नपूर्णा की नगरी में कोई भूखा न रहे। आस्था का केंद्र किस तरह सामाजिक और राष्ट्रीय संकल्पों के लिए ऊर्जा का केंद्र बन सकता है। नई काशी नये भारत के लिए इसकी प्रेरणा बनकर उभरी है। यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति के ध्वज वाहक बनेंगे। बाबा विश्वनाथ की धरती विश्व कल्याण के संकल्प की साक्षी बनेगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारे ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे अधिक योगदान रहा है। संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख भाषा है। भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उर्वरक है। इसलिए हमारे यहां कहा गया है कि भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा। अर्थात भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत की बड़ी भूमिका है। एक समय हमारे देश में संस्कृत ही वैज्ञानिक शोध तथा शास्त्रीय बोध की भाषा होती थी। एस्ट्रोनाॅमी का सूर्यसिद्धांत, गणित का आर्यभट्टीय, लीलावती, चिकित्सा विज्ञान का चरक संहिता तथा सुश्रुत संहिता, बृहत संहिता जैसा ग्रन्थ संस्कृत भाषा में ही लिखा गया था। साहित्य, संगीत और कलाओं की विधाएं भी संस्कृत से ही पैदा हुई हैं। इन्हीं विधाओं से भारत को पहचान मिली है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जिन वेदों का पाठ काशी में होता है, वही वेद पाठ कांची में सुनाई देता है। वेद भारत के शाश्वत स्वर हंै, जिन्होंने हजारों वर्षाें से भारत को राष्ट्र के रूप में एक बनाए रखा है। काशी को विरासत और विकास के मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। परम्पराओं और अध्यात्म के इर्द-गिर्द किस प्रकार आधुनिकता का विकास होता है, आज ये पूरी दुनिया देख रही है। प्रभु श्रीरामलला के स्वयं के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद अयोध्या भी इसी प्रकार निखर रही है। देश में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को भी आधुनिक अवसंरचनाओं व सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश के जनपद कुशीनगर को इण्टरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ा जा रहा है। अगले पांच वर्षाें में देश इसी आत्मविश्वास के साथ विकास को नई रफ्तार देगा। सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा। यह मोदी की गारण्टी है। मोदी की गारण्टी अर्थात गारण्टी पूरी होने की गारण्टी।
प्रधानमंत्री जी ने सभागार में उपस्थित युवाओं से कहा कि वह हर बार कुछ न कुछ काम लेकर आते हैं, वह चाहते हैं कि जो फोटो कम्पटीशन हुआ है, उसमें से अच्छे चित्रों के लिए काशी में वोटिंग करायी जाए। टाॅप 10 चित्रों को पोस्ट कार्ड पर छापकर टूरिस्टों को बेचने का कार्यक्रम बनाना चाहिए। काशी में करोड़ों की संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है। उनके लिए बड़ी संख्या में गाइडों की आवश्यकता पड़ती है। उत्तम से उत्तम गाइड के लिए प्रतियोगिता आयोजित होनी चाहिए। यह रोजगार प्राप्ति में सहायक हो सकता है। प्रतिभा को विकसित होने के लिए अवसर देना चाहिए। कुछ लोग उसे संवारते हैं तथा कुछ लोग ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।
 प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी तो संवरने वाला है, यहां पुल, सड़क, भवन आदि का निर्माण होगा, लेकिन उन्हें यहां प्रत्येक जन तथा मन को संवारना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रधानमंत्री जी का स्वागत करते हुए कहा कि काशी के लोकप्रिय सांसद, देश के यशस्वी प्रधानमंत्री तथा दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी काशी के विद्वानों व युवाओं के बीच एक बार पुनः पधारे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों व काशीवासियों की ओर से उन्हीं की काशी में उनका हृदय से स्वागत व अभिनंदन है। प्रधानमंत्री जी का दुनिया की सबसे प्राचीन सांस्कृतिक नगरी में आगमन ऐसे समय में हो रहा है, जब वह प्रभु श्रीरामलला का 500 वर्षों का वनवास समाप्त कर, अपनी वचनबद्धता व करकमलों द्वारा उन्हें अयोध्याधाम के भव्य मंदिर में विराजमान कराकर यहां आये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा व प्रयास से संयुक्त अरब अमीरात में पहला हिन्दू मंदिर बना है। उन्होंने गत सप्ताह इस मंदिर का लोकार्पण किया है। काशी मंदिरों का शहर है। काशी की आभा सांस्कृतिक रूप से किस तरह वैश्विक मंच पर बुलंद हो रही है, संयुक्त अरब अमीरात के अबूधाबी में बना मंदिर इसका उदाहरण है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 10 वर्षों में काशी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को बनाए रखते हुए दुनिया के सामने नए कलेवर के साथ आई है। हम सभी ने एक लोकप्रिय सांसद के रूप में अपने संसदीय क्षेत्र में कल रात्रि 11 बजे विकास कार्यों का सड़क पर उतरकर अवलोकन करते हुए किसी प्रधानमंत्री को पहली बार देखा है। जब दुनिया सो रही थी, तब प्रधानमंत्री जी जनता के हित के लिए जागते हुए कार्य कर रहे थे। यह उदाहरण है कि कैसे एक जन नेता जनमानस का विश्वास अर्जित कर सकता है। प्रधानमंत्री जी का एक सांसद तथा जनप्रतिनिधि के रूप में नियमित रूप से काशी से जुड़ाव, काशीवासियों के हितों के लिए कार्य करना, काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा प्रदान करने के साथ ही इन तमाम प्रकार की प्रतियोगिताओं के माध्यम से समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों को जोड़कर इन कार्यक्रमों को नया स्वरूप प्रदान करना उनकी अभिनव सोच प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धेय महामना मदन मोहन मालवीय जी की इच्छा थी, कि काशी सर्व विद्या की राजधानी बने, यह कार्यक्रम उनकी इच्छा का मूर्त रूप है। सांसद प्रतियोगिताओं का आयोजन प्रधानमंत्री जी की अभिनव सोच का उदाहरण है। इन प्रतियोगिताओं के आयोजन से नवोदित कलाकारों, खिलाड़ियों संस्कृतज्ञों, संगीतकारों आदि को अपनी प्रतिभा को निखारने का सार्थक मंच प्राप्त हो रहा है।
इस अवसर पर विधान परिषद सदस्य श्री भूपेन्द्र सिंह चैधरी, काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो0 नागेन्द्र पांडेय, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो0 वशिष्ठ त्रिपाठी, स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल, आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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