साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) चंद्रेश्वर विद्यासागर की उपाधि से विभूषित 
महारानी लाल कुँवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलरामपुर के हिन्दी विभाग में 26 वर्षों तक शिक्षण कार्य करने के उपरांत 30 जून, 2022 को सेवानिवृत्त हुए पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) चंद्रेश्वर पाण्डेय को विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ की ओर से उनकी सुदीर्घ हिन्दी सेवा, सारस्वत साधना,कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ, शैक्षिक प्रदेयों, महनीय शोधकार्य एवं राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर वर्ष 2023 के विद्यासागर की उपाधि से सम्मानित किया गया है ।
प्रोफेसर पाण्डेय ने हिन्दी साहित्य की कई विधाओं में चंद्रेश्वर के नाम से स्तरीय लेखन कार्य किया है । मूल रूप से बिहार के बक्सर ज़िले के एक गाँव आशा पड़री के एक किसान परिवार में 30 मार्च 1960 को पैदा हुए चंद्रेश्वर की कुल जमा आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें एक कथेतर गद्य की पुस्तक 'मेरा बलरामपुर' भी बहुत चर्चित रही है जिसका प्रकाशन वर्ष 2021 में हुआ था। आप सेवानिवृत्ति के बाद संप्रति लखनऊ में रहते हुए निरंतर साहित्य सृजन में लगे हुए हैं । आपकी कविताओं और आलोचनात्मक लेखों का प्रकाशन हिन्दी और भोजपुरी की प्रतिनिधि पत्र-पत्रिकाओं में होता रहता है । इस अवसर पर उनको महाविद्यालय परिवार के कई प्राध्यापकों ने बधाई प्रदान की है जिनमें बी.एड.के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राघवेन्द्र सिंह, अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ.रमेश शुक्ल, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अभयनाथ ठाकुर, रसायन शास्त्र के  असिस्टेंट प्रोफेसर  डॉ.रिषिरंजन पाण्डेय, डॉ.जितेन्द्र भट्ट, संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अवनीन्द्र दीक्षित,हिन्दी विभाग के अतिथि प्रवक्ता अनिल कुमार पाण्डेय आदि प्रमुख हैं।
उमेश चंद्र तिवारी
9129813351
हिन्दी संवाद न्यूज़
भारत 

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