हम तो मन को मार यहां पर बैठे हैं ,
खुद अपने को हार यहां पर बैठे हैं ,
वर्षो बीत गये वो अबतक नहीं मिले ,
सब कुछ करके त्याग द्वार पर बैठे हैं !

प्रियंका द्विवेदी 
उत्तर प्रदेश
🙂

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