राजकुमार गुप्ता 
 राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 107वीं पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रध्दांजलि दी और एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता की जयंती पर उन्हें नमन किया गया। 

इस अवसर पर राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना ने एकात्म मानववाद एवम् अंत्योदय के प्रणेता, प्रखर राष्ट्रवादी अद्भुत संघटनकर्ता, महान विचारक हमारे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 107वीं जयंती पर शत शत नमन किया और उनके आदर्शों को याद करते हुए कहा कि पं दीनदयाल उपाध्याय जी जैसे युगपुरुष सादियो में जन्म लेते हैं। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण और विकास पंडित जी का सपना था। आज अंत्योदय के प्रणेता, एकात्म मानववाद की दृष्टि को भारतीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनाने वाले और राजनीति में शुचिता एवं ईमानदारी के प्रबल समर्थक की पावन जयंती है। पंडित जी ने कहा था कि आर्थिक प्रगति और प्रगति को सबसे ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति से नहीं, बल्कि सबसे निचले पद पर बैठे व्यक्ति से मापा जाना चाहिए और हमें अपने देश की संस्कृति तथा इतिहास से सीखकर अपने देश एवम् दुनियां की जरूरत के हिसाब से अपने विचारों का विकास करना चाहिए। हमें किसी की नकल नहीं करनी चाहिए। पंडित जी की हार्दिक इच्छा थी की अंतिम पंक्ति पर रहने वाले व्यक्ति को सरकार की योजनाओं का लाभ मिले, जिससे देश की उन्नति हो सकती है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण और विकास उनका सपना था। राजनीति में कथनी और करनी में अन्तर न रखने वाले इस महापुरुष ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था बनाये रखी। पंडित जी हिन्दुत्ववादी चेतना को वे भारतीयता का प्राण समझते थे। पंडित जी एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा के सूत्रधार एवं समर्थक थे, जिसमें राष्ट्रभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके लिए राष्ट्र प्रथम था। 

श्री खुराना ने आगे कहा कि भारत और भारतीयता के प्रति पंडित जी का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट था। भारतीय दृष्टिकोण विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति के बारे में उनकी मान्यताएँ बहुत स्पष्ट थीं और इसीलिए अंत्योदय की उनकी अवधारणा स्वतंत्र भारत में गरीब कल्याण का माध्यम बनी। हम सभी जानते हैं कि जनसंघ के जनक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर 1914 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। छात्र अवस्था में आरएसएस के संपर्क में आए और प्रचारक बन गए। जिसके बाद जनसंघ की श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर स्थापना की गई। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और संगठनकर्ता थे। पंडित जी भारतीय जनसंघ के सह संस्थापक भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद को दृष्टि दी। वे एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के साथ-साथ उनकी साहित्य में भी गहरी रूचि थी। पंडित जी का निधन 11 फरवरी 1968 को हुआ था। आज मोदी सरकार में गरीब उत्थान के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार पंडित जी के उन्हीं सपनों को पूरा कर रही है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में चल रही सभी योजनाओं के पीछे की प्रेरणा पंडित जी का अंत्योदय का संकल्प ही है। पिछले साढ़े नौ वर्षों में हम देश का जो सर्वांगीण विकास देख रहे हैं, वह इन्हीं चमत्कारी पंडित जी की प्रेरणा है।

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