आदियोगी शिव की नगरी वाराणसी में गुरु पूर्णिमा  की धूम है। सुबह से ही तमाम मठ-आश्रम और मंदिरों में लोग अपने गुरु की पूजा कर रहे हैं। गुरु पूर्णिमा के इस उत्सव के बीच सबसे अलग तस्वीर पातालपुरी मठ में नजर आई। यहां मुस्लिम शिष्य भी गुरु की पूजा करते दिखे। मुस्लिम समाज से आए लोगों ने पूरे विधि विधान के साथ पहले मठ के महंत स्वामी बालक दास के चरणों में मत्था टेका। इसके बाद माला पहनाकर और उनकी आरती उतारी और आशीर्वाद लिया। कहा कि गुरु किसी धर्म और जाति का नहीं होता। वह जीवन को बदलने और बेहतर दिशा देने वाला होता है। मंत्रोच्चार के बीच मुस्लिम समाज के लोगों के इस अनोखी गुरु भक्ति की चर्चा पूरे शहर में है। धर्म-जाति के नाम पर भेद मिटाकर भारत की सांस्कृतिक पहचान कायम रखने वाली काशी का यह अद्भुत नजारा भले ही विदेशियों की नजरों में खटके, लेकिन साम्प्रदायिक एकता की मिसाल इससे बड़ी नहीं हो सकती। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर  नाजनीन अंसारी, मुस्लिम धर्मगुरु अफसर बाबा के साथ बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग पातालपुरी मठ पहुंचे। अपने गुरु महंत बालक दास की आरती की एवं रामनामी दुपट्टा भेंटकर गुरु पद का सम्मान किया। धर्म के नाम पर हिंसा करने वालों के लिए यह बेहतर सबक है। 

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