रंग होली आ गई है 



जब  नशा  सा  छा  रहा  हो,
बेवजह   दिल   गा  रहा  हो।
जब  कहीं  अठखेलियों संग,
एक    टोला   आ   रहा  हो। 
लगे अपना,जब कोई दुश्मन,
सितम   जो   ढा   रहा   हो।
इस   धरा   से  गगन   तक,
हर वस्तु हमको भा रहा हो। 
पुष्प  पर  मंडरा  रहा  भौरा,
कसम   जब   खा  रहा  हो। 
समय  के  आगोश  में  जब, 
रुका  सब  कुछ जा रहा हो। 
मंद  मधुर  मलय  पवन  भी, 
रोम - रोम   समा   रहा  हो।
कर्णप्रिय    संगीत    गाकर, 
अर्द्ध   नींद  जगा  रहा  हो।
पंखुड़ी    से    तुहिन   कण, 
जब  ढुलक  शरमा  रहा हो। 
जब नयन के तीर से घायल, 
कोई     दुलरा    रहा     हो।
आम  की  इस  मंजरी  को,
छू   प्रकृति   बौरा  रहा  हो। 
वह  अनोखी चाल चलकर,
जब  कयामत  ला  रहा  हो।
इंद्र    सातों    रंग    लेकर,
स्नेह  जब  बरसा  रहा  हो। 
कृष्ण   राधा   संग   आकर, 
भरतखंड   सजा   रहा  हो।
राम   सिंहासन   उतर  कर,
लोक  राग   सुना  रहा  हो।
रंग  में   रसखान   रंग  कर,
जब   कबीरा   गा  रहा  हो।
तब   समझना   रंग   लेकर,
फिर  से   होली  आ गई  है।
कर-कपोल-अधर-कमर पर,
खूब   गर्मी   छा   गई    है।
रंग  के   छीटों    से    गोरी,
आज   फिर  शरमा  गई  है।
रंग     बरसाने    से     चल,
हिन्दुस्ता   पर   छा  गई  है।
भींग    जाए     देश    मेरा,
रंग    होली  आ   गई   है।।..."अनंग"

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने