जौनपुर। ग्रामीण इलाकों में होरहे की फैल रही खुशबू

जौनपुर। चना एक ऐसी फसल है जिसका हर कदम पर एक अलग जायका है। पौधे के उगते ही हरे चने के साग का एक अलग स्वाद होता है। हरे चने के साग को लोग चटनी के साथ खाते हैं और राई, बथुआ के साथ हरे चने को पकाकर भी खाया जाता है। चने में फली लगने पर हरी फली की सब्जी बनाई जाती है। हरी फली जब हल्का सा पकने लगती है इसी समय चने को आग में भूनकर होरहा लगाया जाता है।
         
मछलीशहर तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इस समय चने की फसल इसी स्टेज में पहुंच चुकी है और गांवों में लोग हरे चने को खेत से उखाड़ कर पुआल और सूखी पत्तियों से भूनकर खाना शुरू कर दिए हैं। यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का दृश्य है जिसमें बच्चे हरे चने को भूने जाने का इंतजार कर रहे हैं। हरे चने को भूनते समय इसकी खुशबू फैल जाती है। भूने हरे चने को लोग हरी मिर्च, हरी धनिया, हरे लहसुन और अदरक की चटनी के साथ खाना पसंद करते हैं।इस सम्बन्ध में विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी के किसान प्रेमचंद प्रजापति कहते हैं कि होरहे को हफ्तों सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके स्वाद में कोई कमी नहीं आती है। यह स्वाद में बेहतरीन होने के साथ साथ ह्रदय को भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

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