औरैया // जनपद में मासूम से लेकर लड़कियों व गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी पाई जा रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक जनपद में छह माह से पांच साल तक 60 फीसदी से ज्यादा मासूम एनीमिया से प्रभावित है वहीं, 15 से 19 साल तक की 40 फीसदी से ज्यादा लड़कियां व 42.1 फीसदी गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से प्रभावित है जनपद में अभी तक महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी सामने आ रही थी, लेकिन नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में बड़ी संख्या में बच्चों में भी एनीमिया ग्रस्त होने का आंकड़ा दिखा खून की कमी से बच्चों, किशोरियों व महिलाओं में शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है शिशुओं में छह माह बाद ऊपर का आहार न देना और मां को पर्याप्त दवा व आहार न लेना इसका प्रमुख कारण है शासन महिलाओं व किशोरियों में हीमोग्लोबिन के स्तर की कमी जानने के लिए जांच व दवाओं की सुविधा प्रतिमाह अस्पतालों व आंगनबाड़ी केंद्र में जांच करता है, इसके बाद भी सर्वे रिपोर्ट में आए आंकड़ें चिंताजनक है, 
नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के मुताबिक छह माह से पांच साल तक के बच्चें 80.1 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी थी लेकिन एनएफ एचएस-5 में 64.2 प्रतिशत बच्चें ही एनीमिक रह गए साथ ही 15 से 19 साल की लड़कियां पहले 72.4 फीसदी एनामिक थी, जो अब 44 फीसदी है। वही, गर्भवती महिलाएं 56.3 फीसदी थी, जो एनएफ एचएस-5 में 42.1 ही रह गई है जबकि 15 से 49 वर्ष तक की महिलाएं पहले 68 फीसदी एनीमिया से ग्रस्त थी, जो अब 39 फीसदी है ACMO व आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ. शिशिर पुरी ने बताया कि जिले में एनीमिक मामलों में कमी देखी जा रही है हर माह होने वाले वीएचएनडी और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में जांच हो रही हैं कार्यक्रमों में आयरन व कैल्शियम बांटने के साथ सेहत के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है असंतुलित खाना-पान और अनियंत्रित माहवारी के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से किशोरियों और महिलाओं को एनीमिया की समस्या हो जाती है इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है साथ ही शरीर का विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता है
इसके प्रमुख लक्ष्ण निम्न है काम करते समय जल्दी थक जाना, सीढिय़ां चढ़ते समय सांस फू लना, दिनभर कमजोरी महसूस होना, अधिकतर समय सांस लेने में कमजोरी होती है, आंखों के सामने अंधेरा छाना व चक्कर आना, सीने और सिर में दर्द होना, पैरों के तलवों और हथेलियों का ठंडा होना, आंखों का पीलापन, एनीमिया के लक्षण है, छह माह के बाद बच्चे को ऊपर का आहार न देना, बच्चों, किशोरियों व युवतियों में शारीरिक विकास रुकना वहीं CMO डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने बताता कि विभाग द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं अभी भी किशोरियों व महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।


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