मथुरा।।
वृन्दावन।छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रिया वल्लभ कुंज में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के तत्वावधान में चल रहे ठाकुर प्रियावल्लभ महाराज व ठाकुर विजयराधावल्लभ महाराज के 17 दिवसीय 209 वें पाटोत्सव के अंतर्गत संत विद्वत सम्मेलन का आयोजन किया गया।सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान के भरतपुर स्थित प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के पूर्व पांडुलिपिविद डॉ. सर्वेश कुमार शर्मा ने कहा कि श्रीहित परमानंददास महाराज 18वीं शताब्दी के रस सिद्ध वाणीकार व राधावल्लभीय सम्प्रदाय की बहुमूल्य निधि थे।उनके व उनकी प्रमुख शिष्या बख्त कुंवर के सेव्य ठाकुर श्रीप्रियावल्लभ लाल व श्रीविजय राधावल्लभ लाल महाराज यहां विराजित हैं।यह द्व्य ठाकुर विग्रह अत्यंत अद्भुत व चमत्कारिक हैं।
श्रीहितपरमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च व समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीहित परमानंददास महाराज श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय के परम उपासक व उद्भट विद्वान थे।उनके द्वारा रचित साहित्य कालजयी व शाश्वत है।इसके प्रकाशन का कार्य हमारा संस्थान युद्ध स्तर पर कर रहा है।
रसभारती संस्थान के निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल व डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि ठाकुर प्रियावल्लभ कुंज श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है।यहां इस सम्प्रदाय की सभी परम्पराओं व उत्सवों का निर्वाह पूर्ववर्ती आचार्यों के निर्देशानुसार किया जाता है।
इस अवसर पर ठाकुर श्रीराधावल्लभ मन्दिर के समाज मुखिया राकेश बिहारी दुबे का उनके द्वारा शास्त्रीय गायन शैली में मंगल बधाई समाज गायन करने के क्षेत्र में की गई सेवाओं के लिए सम्मान किया गया।साथ ही उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र, ठाकुरजी का पटुका प्रसादी देकर व "हित जस गायिकी सम्मान" की उपाधि से अलंकृत किया गया।
संत विद्वत सम्मेलन में "श्रीहित परमानंद वाणी में वर्णित अष्टक" एवं "हितोपासना में वृन्दा सखी का रूप वर्णन" विषय पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
महोत्सव में प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. सुनीता अस्थाना, धर्माचार्यों रामगोपाल शास्त्री, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, श्रीहित जीवन दुबे (छोटू भैया), युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, भागवताचार्य ललित वल्लभ नागार्च,पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च, हितवल्लभ नागार्च, श्रीमती कमला नागार्च, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, प्रमुख समाजसेवी जुगल किशोर शर्मा, रासबिहारी मिश्रा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।

राजकुमार गुप्ता

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