मथुरा।।
वृन्दावन। छीपी गली स्थित प्रियावल्लभ कुंज में श्रीहितपरमानंद शोध संस्थान के तत्वावधान में श्रीराधावल्लभीय रसोपासना के द्वितीय सिद्धांत लेखक श्रीहित ध्रुवदास महाराज कृत "वृन्दावन शतलीला" का प्रणयन दिवस अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।
श्रीहितपरमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष श्रीहित विष्णुमोहन नागार्च व महामंत्री श्रीहित ललितवल्लभ नागार्च ने कहा कि श्रीहित ध्रुवदास महाराज श्रीराधावल्लभीय सम्प्रदायाचार्य गोस्वामी गोपीनाथ महाराज के प्रमुख शिष्य थे।उन्होंने इस ग्रंथ का विक्रम संवत 1646 की मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा को प्रणयन किया था।जिसमें कि वृन्दावन रसोपासना की निष्ठा, लता-पता, यमुना महारानी और रजरानी आदि की महिमा का विस्तार से बखान किया गया है।
श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पार्षद रसिकवल्लभ नागार्च ने कहा कि श्रीहित ध्रुवदास महाराज श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख स्तंभ थे।उनके साहित्य में ब्रज का अद्भुत वर्णन है।उनकी वाणियों में प्राचीन वृन्दावन की छवि परिलक्षित होती है।
इस अवसर पर प्रातः काल मंगलगान, वृन्दावन शतलीला का पाठ व राधा सुधानिधि आदि के पाठ किए गए। साथ ही श्रीमद्भागवत महापुराण के मूलपाठ का शुभारम्भ हुआ।तत्पश्चात श्रीराधावल्लभीय समाज मुखिया राकेश दुबे की मुखियायी में मंगल बधाई समाज गायन हुआ।जिसमें 
रुपए, वस्त्र, खिलौने, मेवा-मिष्ठान व बर्तन आदि लुटाए गए। प्रिया वल्लभ कुंज की भव्य सजावट की गई।शहनाई बजाई गई।संत-ब्रजवासी वैष्णव सेवा व भंडारा भी हुआ।
महोत्सव में डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, डॉ. राधाकांत शर्मा, भागवताचार्य हेमंत दुबे,प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. सुनीता अस्थाना, महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, रवि पाठक, नवल शर्मा, कुंज बिहारी, जुगल दास, बैजनाथ कुमार, आशीष सोनी, संतोष कुमार आदि की उपस्थिति विशेष रही।संयोजक आचार्य विष्णुमोहन नागार्च ने सभी अतिथियों का स्वागत शॉल ओढ़ाकर व प्रसाद आदि भेंट कर किया। संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया

राजकुमार गुप्ता 

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