डेंगू एवं चिकनगुनिया से बचाव के सम्बन्ध में सभी मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक तथा समस्त जिला विद्यालय निरीक्षकों दिशा-निर्देश जारी


छात्र/छात्राओं एवं अभिभावकों को विद्यालय के माध्यम से जागरूक किया जाय


-शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डाo महेन्द्र देव


लखनऊ: 13 नवम्बर, 2022


शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डा0 महेन्द्र देव ने प्रदेश में डेंगू एवं चिकनगुनिया के बढ़ते प्रकोप हेतु बचाव के उपाय किये जाने के सम्बन्ध में सभी मण्डलों के मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक तथा समस्त जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों दिशा-निर्देश जारी किये है। उन्होने निर्देश दिये है कि प्रदेश में डेंगू एवं चिकनगुनिया का प्रकोप तीव्रता से बढ़ रहा है, जिससे छात्र/छात्राएं भी प्रभावित हो रहे हैं। डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव हेतु आवश्यक है कि छात्र/छात्राओं एवं अभिभावकों को विद्यालय के माध्यम से जागरूक किया जाय, जिससे प्रकोप से छात्र/छात्राओं को बचाया जा सके।


शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) ने निर्देश दिये है कि जनपद में समस्त छात्र छात्राओं को पूरी बॉह की शर्ट एवं फुल पैन्ट पहन कर विद्यालय आने हेतु निर्देशित किया जाय। प्रतिदिन प्रार्थना सभा में संचारी रोगों एवं उससे होने वाली समस्याओं के सम्बन्ध में बच्चों को अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाय। यथाआवश्यकता गाँव में जन-जागरूकता रैलियाँ भी निकाली जाय। परिसर में खुली हुयी पानी की टंकियों की नियमित सफाई की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि विद्यालय परिसर एवं पास-पड़ोस में कहीं भी जल भराव न होने पाये। यह सुनिश्चित किया जाय कि विद्यालय परिसर में स्थित हैण्डपम्प एवं मल्टीपल हैण्डवाश के पास नियमित रूप से सफाई की जाय एवं एन्टीलार्वा/कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाय। विद्यालय परिसर एवं पास-पड़ोस साफ-सुधरा रखा जाये एवं झाड़ियों का कटान करा दिया जाय। एस०एम०डी०सी० की बैठक आयोजित करते हुए उन्हें डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रांचारी रोगों एवं उनके दुष्प्रभाव के बारे में बताया जाये तथा घर एवं आस-पास की साफ-सफाई हेतु प्रेरित किया जाये। कार्यों में स्थानीय जनसमुदाय का सहयोग लिया जाय। किसी भी बच्चे को बुखार आने पर उसका तत्काल उपचार कराया जाये। इस हेतु तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का सहयोग प्राप्त किया जाय। उन्होने निर्देश दिये किये कि उपरोक्त सभी कार्यवाही करते हुए रांचारी रोगों तथा डेंगू व चिकनगुनिया के प्रभावी नियंत्रण हेतु समस्त अध्यापकों एवं प्रधानाध्यापकों को यथेष्ठ निर्देश दिया जाये, जिससे उक्त से बचाव हो सके और उस पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। उक्त कार्यवाही सभी जनपदों में प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जाय।

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