उतरौला(बलरामपुर) शहर में चरमराई ट्रैफिक व्यवस्था के पीछे मुख्य कारण शहर में पटरियों पर ठेले,खोमचे,व दुकानदारों द्वारा किए ग‌ए अतिक्रमण का होना माना जा रहा है। वहीं बाजार में पार्किंग की जगह नहीं होने से दुकानदारों और खरीदारों के वाहन सड़क पर ही खड़े रहते हैं। 
इस कारण बाजार में जाम का नजारा आम रहता है। पार्किंग नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत त्योहारों में होती है। बाजार में ग्रामीण क्षेत्र से भी लोग खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं और पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने पर सड़क पर अपनी गाड़ी को खड़ी कर देते हैं। इसके साथ ही नगर में बड़े शापिंग मॉल, कांप्लेक्स, निजी एवं सरकारी बैंक, पोस्ट आफिस तो हैं, लेकिन किसी भी शापिंग मॉल एवं कांप्लेक्स में पार्किंग की सुविधा नहीं है। ऐसे में फुटपाथ पर ही वाहनों को पार्क करना मजबूरी बन जाता है। इस कारण जाम की समस्या आम रहती है। शहर में बढ़ी दोपहिया व चार पहिया वाहनों की संख्या पार्किंग की जगह नहीं होने के कारण वाहन सड़क किनारे खड़े रहते हैं। बीते कुछ सालों में शहर दो व चार पहिया वाहनों की संख्या काफी बढ़ी है। उतरौला में वर्तमान में सैंकड़ो ई-रिक्शा संचालित हैं। लेकिन इनका कोई निश्चित ठिकाना अबतक निर्धारित नहीं हो पाया है। इसके साथ ही बाजारों में आम लोगों के निजी वाहन भी यत्र-तत्र खड़े मिल जाते हैं।
नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत पार्किंग की समस्या लगातार विकराल रूप धारण करती जा रही है। इसके कारण मुख्य बाजार क्षेत्रों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है।ठेले ,खोमचे,व फुटपाथ तक सजी मसाले‌ व सब्जी की दुकानों के चलते नगर में सुबह से ही सड़कों पर जाम लगना आम बात हो चली है। जाम के कारण लोगों को नारकीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। शहर का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही गांवों से भी लोगों का पलायन होकर शहर की तरफ रुख कर रहा है। जनसंख्या की बढ़त के साथ ही लोगों की आवाजाही के लिए वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी का दौर जारी है। शहर में पार्किंग के लिए कोई भी जगह चिह्नित नहीं होने से वाहन चालक मनमानी तरीके से वाहनों को पार्क कर जाम की स्थिति उत्पन्न करने से बाज नहीं आते। वहीं सड़कों पर अतिक्रमण के कारण भी सड़के लगातार सिकुडती जा रही हैं। इसके कारण राहगीरों को कई बार दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। वाहन चालक अपनी मर्जी से शहर में कहीं भी पार्किंग कर लोगों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं।
इस कारण शहर में जगह-जगह जाम के हालात बने रहते हैं। ट्रैफिक संचालक के लिए विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। शहर में बढ़ रहे वाहनों के बाद भी ट्रैफिक कंट्रोल के लिए कोई ठोस योजना अब तक तैयार नहीं की गई है।
शहर के विकास के लेकर जनप्रतिनिधियों और अधिकारी तमाम योजनाएं बनाते हैं, लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाने का नतीजा है कि शहर की हर सड़क पर जाम का नजारा आम रहता है।
असगर अली
उतरौला 

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