ककरहटी // जहां एक और मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान गरीब बेसहारा भूमिहीन लोगों को भूमि आवंटित कर पक्की छत देने का वादा कर रही है वहीं दूसरी ओर  जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी सरकार की मंशा का बंटाधार करने में आमादा है ऐसा ही एक मामला पन्ना जिले की देवेंद्र नगर तहसील के ग्राम गढ़ीपड़रिया का है जहां आवेदक लालमणि कुशवाहा आराजी 860 में पत्थर से भरी नींव मे मकान निर्माण कार्य कराया जा रहा था जिसे कुछ लोगों के द्वारा शिकायत नायब तहसीलदार ममता मिश्रा को की गई जिस पर उन्होंने भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाते हुए आवेदक को अवैध कब्जा घोषित कर दिनांक 20/06/2022 तक हटाने का तालिबानी फरमान जारी कर दिया। क्योंकि आवेदक गरीब लाचार बेबस ओर आर्थिक रूप से कमजोर है ओर वह परदेश मैं रहकर मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है। आवेदक की उक्त भूमि पर सन् 2012 से पत्थर की भरी पड़ी हुई नींव का कब्जा है। ओर आवेदक की बच्ची का स्वास्थ्य खराब होने से उक्त भूमि पर मकान निर्माण नहीं करा पाया जबकि कई अन्य लोगों के मकान बन गये है जिसका प्रमारीकरण दस्तावेज संरपच के द्वारा प्रदान किया गया है। लेकिन फिर भी नायब तहसीलदार ममता मिश्रा के द्वारा अवैध कब्जा घोषित कर बेदखल करने का जबरन आदेश थमा कर उक्त पत्थर की भरी नींव को तुड़वा दिया गया। जब न्याय के सिंहासन पर बैठे अधिकारी ही भेदभावपूर्ण फैसला करने लगे तो फिर आम बेबस लाचार गरीब आदमी को निष्पक्ष रुप से न्याय कैसे मिल पायेगा।

क्या प्रशासनिक अधिकारियों का दबदबा गरीब मजदूर बेबस लाचार व्यक्तियों पर ही चलता है या फिर कभी किसी दबंग आदमी पर भी कारवाही की गई है?

मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी जहां अपने भाषणों में चीख चीख कर गरीब बेसहारा भूमिहीन लोगों को पक्का मकान देने की बात करते हो लेकिन शायद पन्ना जिले की नायब तहसीलदार  ममता मिश्रा कही न कही मुख्यमंत्री जी की मंशा पर सवालिया निशान लगा रही है। खैर अब देखना यह है कि क्या गरीब को बिना भेदभाव के इंसाफ मिल पाता है या फिर आवेदक यू ही दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर रहता है।

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