मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता - अनुज अग्रवाल

   मोदी सरकार अत्यंत ही आक्रामक मोड में है। कोविड के झटकों से उभरकर अब सरकार ने वही रूप अपना लिया है जिस कारण जनता मोदी जी को पसंद करती है। तीव्र किंतु संतुलित विकास, तेज़ी से निर्णय लेने वाली सरकार , निर्णयों के अनुपालन की निरंतर निगरानी, राष्ट्रविरोधी व कट्टरपंथियों ताक़तों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्यवाही, भ्रष्टाचार , कालाधन, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, कर चोरी व मादक पदार्थों के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही, नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की पहल, विकेन्द्रित विकास के साथ कृषि, पशुपालन, दुग्ध, चाय, मछली,बागवानी, सी फूड आदि उत्पादन, प्रभावी ढांचागत व आर्थिक विकास , स्वतंत्र व प्रभावी रक्षा व विदेश नीति अब मोदी सरकार की पहचान बन गए हैं। मोदी सरकार के देश हित में ताबड़तोड़, आक्रामक व निर्णायक कदमों से आम जनता के मनोबल में जबरदस्त वृद्धि हुई है। ऐसे में जब पूरे विश्व में देश कोविड के झटकों, रुस- यूक्रेन युद्ध व भीषण महंगाई व आर्थिक मंदी से घिरे हुए हैं वहीं मोदी सरकार के शीघ्र व सही निर्णयों से देश सभी अवरोधों के बाद तो तीव्र प्रगति कर रहा है। मोदी सरकार  मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आते ही जिस प्रकार सीएए- एनआरसी व किसान बिलों के विरोध में विपक्ष ने मोर्चा खोला व देश विरोधी व भ्रमित लोगों को मोहरा बनाकर आंदोलन कर देश के विकास को रोका गया व मोदी सरकार कुछ ख़ास नहीं कर पायी थी , उससे जनता में एक निराशा का भाव आ गया था । किंतु पिछले कुछ माह में सरकार ऐसे सभी तत्वों के विरुद्ध निर्णायक रूप से सक्रिय हो गयी और उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही कर ठिकाने लगा रही है। यह समझना भी आवश्यक है कि सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन में विपक्ष ने बंदूक़ जिन संगठनों व   संस्थाओं के  कंधे पर रखी थी आज उनका क्या हाल व औक़ात है? राष्ट्रहित में आवश्यक इन बिलों को वापस लेने या लागू न कर पाने से हुए नुकसान की भरपाई सरकार बखूबी कर रही है - 
1)वामपंथी किसान व मजदूर संगठन  किसान कानूनों की वापसी का श्रेय लेने के चक्कर किसान संगठनों में दोफाड़ व आपसी लड़ाई व एक दूसरे की पोल - खोल से इनकी विश्वसनीयता समाप्त हुई । 
2) नक्सली संगठन  -   आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले देश के अधिकांश हिस्सों से नक्सलियों का सफाया व विश्वास बहाली कर आत्मसमर्पण करवाया गया। 
3) जाट समुदाय व बड़े किसान -  आंदोलन की धार बने पंजाब, हरियाणा ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान  के जाट समुदाय के लोगों में भाजपा का तेज़ी से विश्वास बहाली व प्रभाव की बढ़ोतरी। जाट समुदाय की सत्ता में भागीदारी बढ़ाई गयी व उपराष्ट्रपति भी जाट समुदाय से निर्वाचित। 
4) सिख समुदाय -    भाजपा का पंजाब में तेज़ी से प्रसार और देश - विदेश के सिख समुदाय में घुसपैठ व विश्वास बहाली के साथ ही के. अमरिंदर सिंह की पार्टी का भाजपा में विलय। हिंदू- सिख एकता पर ज़ोर देकर विभाजनकारी शक्तियों की योजनाओं पर पानी फेरा गया। 
5) पीएफआई - पूरे देश में कट्टरपंथ , दंगे व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार पीएफआई के नेटवर्क पर छापा, सफ़ाया व गिरफ्तारी व प्रतिबंध लगा कट्टरपंथी इस्लामिक ताक़तों पर निर्णायक प्रहार। 
6) अर्बन - नक्सल सिविल सोसाइटी - भाजपा ने अपनी समानांतर राष्ट्रवादी सिविल सोसायटी बनाई और जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर सिविल सोसाइटी का महत्व कम किया। साथ ही अर्बन -नक्सल को पोल खोल व क़ानूनी कार्यवाही कर जनता के सामने इनकी पोल खोल इनकी विश्वशनीयता को समाप्त करने में सफलता पायी। 
7) यत्र तत्र फैले लघु व सीमांत किसानों, मजदूरों, रेहड़ी- पटरी वालों, छोटे दुकानदारों , लघु व सूक्ष्म उद्योग चलाने वालों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगातार आर्थिक व संसाधनों के माध्यम से सहायता देकर मुख्यधारा में मिलाया। किसानों को सुविधाएँ व न्यूनतम समर्थन मूल्य की वृद्धि के साथ ही सहकारी मंत्रालय का गठन व तेजी से कार्य विस्तार कर छोटे किसानों को जोड़ने व फायदा पहुँचाने की की भरकस कोशिशें।
😎 विपक्षी दलों के नेता - सरकार को हर योजना व कार्य का विरोध के लिए विरोध करने वाले अनेक  विपक्षी दलों के नेताओं के  घपले , घोटालों व भ्रष्टाचार पर ताबड़तोड़ कार्यवाही कर उनको बैकफुट पर लाकर खड़ा किया व जनता के सामने उनकी सच्चाई व खोखलेपन को उजागर किया गया। 
 सरकार की इस आक्रामकता के मध्य यह भी आवश्यक है कि वो पक्षपात करती न दिखे व अपने से जुड़े लोगों के ग़लत आचरण पर भी उसी आक्रामकता के साथ कार्यवाही करे। 
        मोदी सरकार व भाजपा अगले लोकसभा चुनावों में हराने के लिए विपक्षी दल भी आक्रामक हो गए हैं व नित नयी रणनीति बना रहें है और आपसी एकता के उपाय भी कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो हाल ही में भाजपा का साथ छोड़ आरजेडी के साथ गठबंधन की सरकार बनाए हैं, कि सक्रियता विपक्षी एकता के लिए अत्यधिक है। एक गंभीर व अनुभवी  चेहरा होने के बाद भी उनकी विश्वसनीयता, लोकप्रियता व जनाधार सिमटता जा रहा है । यह समय ही बताएगा कि वे अपने प्रयासों में कितने सफल हो पाएँगे। “ भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार झटके झेल रहे हैं। जम्मू- कश्मीर , गोवा , पंजाब के बाद अब राजस्थान में भी पार्टी के नेताओं ने उनको बड़े झटके दे दिए हैं और गांधी परिवार की विश्वसनीयता तार तार हो चुकी है व पार्टी का भविष्य अंधकार में ही है। यही हाल आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी व राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार का है जिनके नेताओ व मंत्रियों के लूट व भ्रष्टाचार की पोल नित जनता के सामने खुलती जा रही है व जाँच एजेंसियों व न्यायालय उनके विरुद्ध कार्यवाही करते जा रहे हैं। ऐसे में विपक्ष द्वारा मोदी व भाजपा को अगले लोकसभा चुनावों में चुनौती देना दूर की कौड़ी ही लग रहा है।
सरकार के लिए बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियों के साथ हो रुस - यूक्रेन युद्ध से बिगड़ रही वैश्विक परिस्थितियों भी हैं, तो विश्व में तेज़ी से पसरती आर्थिक मंदी भी है। सूखे और बाढ़ ने देश व दुनिया में खाद्यान्न संकट को ख़तरनाक स्तर तक बढ़ा दिया है तो रुस व अमेरिका में बढ़ता तनाव अब परमाणु युद्ध की संभावना को सच्चाई में बदल सकता है। इन सबके बीच मंदी की मार भी अर्थव्यवस्थाओं की कमर तोड़ सकती है। 
 सच तो यह है कि दुनिया विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है और इसकी जिम्मेदारी अमेरिकी कैम्प की अधिक है । दुनिया इनकी बाज़ारवादी नीतियों व संसाधनों के अत्याधिक दोहन के कारण ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ ही रही है ऊपर से महाशक्तियों के सत्ता व संसाधनों पर कब्जे के संघर्ष से भयग्रस्त अस्तित्व के संकट से दो चार है। अभी तक विश्व युद्ध व परमाणु अस्त्रों के प्रयोग की बातें बेमानी ही लग रही थीं व कूटनीतिज्ञ व जानकर इन बातों को हवा हवाई ही बता रहे थे। किंतु अब स्थितियाँ पूर्णतः बदल चुकी हैं व संकट सचमुच में सिर पर मंडराने लगा है । ऐसे में आने वाले महीने महाशक्तियों के ज़बरदस्त संघर्ष के गवाह बनने जा रहे हैं। युद्धोन्माद दुनिया को तबाही के क्या क्या मंजर दिखाएगा यह समय व नियति ही तय करेगी  हां यह कहा जा सकता है कि यह अनेक मोर्चों पर युद्ध, अनेक राष्ट्रों में गृहयुद्ध , घातक हथियारों के अनियंत्रित प्रयोग के कारण बड़े नरसंहार, मौत के मंजर,  संसाधनों की बेतहाशा कमी, खाद्य व ऊर्जा संकट,भुखमरी , गरीबी, अराजकता, लूट-मार , विस्थापन, बीमारियां और बेरोजगारी के रूप में होगी। ग्लोबल वार्मिंग इस आग में घी का काम करेगी व इन संकटो को कई गुना बढ़ा देगी। अगर प्रभावशाली कदम नहीं उठाए गए तो ऐसे में आने वाला समय भयंकर तबाही व अराजकता वाला हो सकता है। 

 Link of E - edition of Dialogue India political magazine October 2022 issue / डायलॉग इंडिया राजनीतिक पत्रिका के अक्तूबर 2022 अंक  का लिंक
https://dialogueindia.in/wp-content/uploads/2022/10/dialogueindia-october-issue.pdf

अनुज अग्रवाल 
संपादक, डायलॉग इंडिया
www.dialogueindia.in

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