जौनपुर। आत्महत्या की धमकी को हल्के में लेना खतरनाक

जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय आर्यभट्ट सभागार में चल रही पांच दिवसीय कार्यशाला के आज चौथे दिन युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्तिरू रोकथाम में शिक्षकों की भूमिका विषय पर मंथन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ तुषार सिंह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा आत्महत्या एशिया में होती है, जिसमें चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। व्यक्तियों के जीवन में आने वाली परेशानियां और उससे निपटने के तरीकों में जब असंतुलन होता है तो व्यक्ति आत्महत्या की ओर बढ़ने लगता है। लोगों से बराबर संवाद ना करने, बार-बार आत्महत्या की धमकी को हल्के में लेना खतरनाक होता है। एक शिक्षक को अपने छात्रों पर नजर रखनी चाहिए और उसे ध्यान देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि मनोचिकित्सक डॉ. हरिनाथ यादव ने कहा कि जिस समय व्यक्ति आत्महत्या करते हैं उस समय कारण कुछ भी हो लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उस समय वह मानसिक रूप से बीमार होता है। जब किसी व्यक्ति को किन्हीं कारणों से  तनाव लगातार बना रहता है तो उससे उसके शरीर में कार्टीसोल की मात्रा बढ़ने लगता है और प्रोटीन की मात्रा घटने लगती है जिस कारण से व्यक्ति के शरीर का एम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाती है। वह डिप्रेशन में जाने लगता है ऐसे में उस पर ध्यान देने की जरूरत है।  

अध्यक्षता कर रहे व्यवहारिक मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो.अजय प्रताप सिंह ने कहा कि हर आयु वर्ग में तनाव और तत्पश्चात आत्महत्या की प्रवृति अलग अलग होती है इसलिए हमें अलग विधियों के माध्यम से ऐसे परिथितियों का समाधान निकालने की आवश्यकता है। संचालन डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर दिग्विजय सिंह राठौर ने किया।

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