आर्टिफिशियल आई क्या है जानते हैं- डॉ सुमित्रा
 
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
कृतिम आंख विशेसज्ञ (दो दसको से )
सुमित्राजी से जुड़ने के लिए यूट्यूब पर जाकर टाइप करे आर्टिफीसियल ऑय को  (Artificialeyeco)
 
 
आर्टिफिशियल आई क्या है? आइए जानते हैं। जब कभी किसी व्यक्ति की आंख निकाल दी जाए या उस आंख से दिखना बंद हो जाए और आँख धीरे धीरे छोटी हो जाए तब सुंदरता को वापस लाने के लिए आर्टिफिशियल आई बनाई जाती है। आर्टिफिशियल आई से कभी दिखाई नहीं देगा, यह सिर्फ कॉस्मेटिक पर्पस के लिए बनाई जाती है अर्थात यह आंख सिर्फ सुंदरता को वापस लाती है, दोनों आँखे समान रूप से घूमती हैं, कोई ये नहीं पकड़ पाता है कि आंख नकली है, दोनों आँखों की पलक भी बराबर रूप से झपकती हैं ,सामान रूप से दोनों आँखों से आंसू भी आते हैं। चाहे फोटो देखकर या पास खड़े होकर आपसे बात करने वाले व्यक्ति को ये नहीं पता चल सकता कि आपकी आंख नकली है। आइए इसी विषय पर डॉ सुमित्रा से नकली आंख के विशेषज्ञ से कुछ सवाल पूछेंगे जो कि आर्टिफिशियल आई एक्सपर्ट है, जानेगे उनसे आपके प्रश्नों के जवाब।
 
प्रश्न: मैडम ये आर्टिफिशियल आई लगाने के लिए कोई उम्र होती है या किसी भी उम्र में ये लगाई जा सकती है?
 
डॉ: आर्टिफिशियल आई लगाने की कोई उम्र नहीं होती। किसी की आंख अगर नष्ट हो जाए, चाहे वो जन्मगत रूप से ही एक आँख के साथ हे जन्मा हो ,या कोई कारण से चोट लगने से खराब हो जाए या किसी बीमारी में अगर आँख निकालनी ही पड़ जाए तो ये आर्टिफिशियल आई लगाई जा सकती है। आर्टिफीसियल ऑय छोटे बच्चों में भी उतनी ही सक्रिय है जितनी कि बड़े बच्चों में, यहाँ तक कि उम्रदार लोग भी इसे लगा सकते हैं।
 
प्रश्न: आर्टिफिशियल आई से क्या दिखाई देता है?
 
डॉ: नहीं, आर्टिफिशियल आई से कभी दिखाई नहीं देता।
 
प्रश्न: आर्टिफीसियल आई क्यों लगाई जाती है ?
 
डॉ: जब चेहरे पर एक छोटी सी फुंसी भी हो जाती है तो हम किसी से मिलने, बात करने, बाहर जाने, किसी पार्टी प्रोग्राम अटेंड करने में बहुत शरमाते हैं। हम किसी से आई कॉन्टैक्ट नहीं बनाना चाहते, न ही किसी से मिलने जाना चाहते हैं, न किसी सार्वजनिक उत्सव का अंग बनना चाहते हैं। जिस व्यक्ति की आंख नहीं है, उस व्यक्ति के लिए किसी सामाजिक अनुष्ठान में जाना, किसी से मिलना, किसी से बात करना, स्कूल, कॉलेज ही जाना, ट्यूशन जाना कितना दुखदायी होता होगा। यह पीड़ा सिर्फ वो व्यक्ति समझ पाता है जो इस तरीके की विकलांग अवस्था से जूझ रहा हो। इस हीन भावना को दूर करने के लिए या इस हीन भावना से निकलने के लिए उनकी एक इच्छा हमेशा रहती है कि वो नॉर्मल व्यक्ति की तरह दिखाई दे, इसलिए वो आर्टिफिशियल आई बनाते हैं ताकि लोगों को न पता चले कि उनके एक आँख ख़राब है। वो कभी किसी को ये नहीं बताते हैं कि उन्हें उस आंख से दिखाई नहीं देता है।
 
प्रश्न: एक आर्टिफिशियल आई कितने समय तक पहनी जा सकती है?
 
डॉ: आर्टिफिशियल आई कभी ख़राब नहीं होती है, लेकिन आँख के अंदर की जगह जिसे आई सॉकेट बोलते हैं उस सॉकेट में कोई परिवर्तन आ जाने से आर्टिफिशियल आई को या तो मॉडिफाई करना पड़ता है या ज्यादा चेंज आ जाने से नई आँख बनानी पड़ सकती है। आई चेंज कब करनी है, ये पेशेंट की उम्र पर भी डिपेंड करता है। जब हम बढ़ती उम्र में होते हैं जैसे, छोटे बच्चे से जब युवा अवस्था की तरफ बढ़ रहे होते हैं उस समय आर्टिफिशियल आई अगर किसी ने लगाई है तो उन्हें जल्दी जल्दी आँख को बदलना पड़ सकता है ।
 
प्रश्न: आर्टिफिशियल आई क्या हर डॉक्टर बना सकते हैं?
 
डॉ: नहीं, हर डॉक्टर आर्टिफिशियल आई नहीं बना सकते, यहाँ तक की नेत्र के हर विशेषज्ञ भी आर्टिफिशियल आई नहीं बना सकते हैं, नेत्र के कुछ स्पेशलाइज विशेषज्ञ होते हैं जिन्हें ऑक्युलरिस्ट कहा जाता है सिर्फ वे ही आर्टिफीसियल ऑय बनानी में दक्ष होते हैं।
 
प्रश्न: ये रेडीमेड आई क्या है?
 
डॉ: रेडीमेड आई का अर्थ होता है जो आई बाजार में खरीदने में मिल जाती है। अपने देखा होगा जिनके घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति है वे लड्डू गोपाल की आंख बाजार से ला कर चिपकते हैं। बहुत सारी अन्य मूर्तियों में भी हम आई बाजार से लाकर चिपकाते हैं। ठीक इसी तरह काफी ऐसे लोग हैं जो लोग रेडीमेड आई का काम करते हैं, वे प्लास्टिक से बनी हुई आई होती है जो बाजार में मिलती है, जैसे कि आप गुड्डे गुड़ियों में भी इसी प्रकार की आंख लगी रहती है। 
 
प्रश्न : रेडीमेड आई और बनाई हुई आई में क्या फर्क होता है?
 
डॉ: रेडिमेंट आई क्योंकि आपके मेजरमेंट से नहीं बनी है वह बेहतर आई जैसी देखने में होती नहीं है, न वो घूमती है, ना सुन्दर लगती है , जिन कारणों से आई बनाइ है वो भी पूरी नहीं होती है। आप किसी को ये नहीं बता सकते की वो आंख नकली नहीं है। एक बार मैं देखते ही लोग बता सकते हैं कि वो आंख नकली है क्योंकि वो फिक्स होती है, एक ही जगह पर फिक्स पड़ी रहती है, घूमती भी नहीं है। आपके अच्छी आँख से मैच भी नहीं होती और उसको पहनने के बाद नाना प्रकार की असुविधाएँ पेशेंट फेस करता है। पेशेंट के आंख से पानी आता है, किसी किसी को दर्द होता है, किसी किसी की आँखों से खून भी आने लग जाता है। काफी बार पेशेंट रेडीमेड आई को पहनकर रात में सो भी नहीं पाते हैं। रोज़ उन्हें  इस आई को निकालना भी पड़ता है। इसलिए आमतौर पर रेडीमेड आई कभी नहीं पहननी चाहिए क्योंकि इसके नुक्सान बहुत ज्यादा है और फायदे तो है ही नहीं।
 
प्रश्न: कस्टमाइज्ड आई जो बनाते है उसको क्या रोज़ रात में खोलना पड़ता है?
 
डॉ: नहीं कस्टमाइज्ड आई को रोज़ रात में खोलने की आवश्यकता नहीं होती। आप एक बार उस आँख को पहनते हैं तो महीनों तक आप उसको बिना निकाले रह सकते हैं। आपके कार्य पर डिपेंड करता है की ये आई आपको निकाल कर कितने दिन में साफ करने की आवश्यकता पड़ती है। हम भारत में रहते हैं और यहाँ हर जगह बहुत धुल मिट्टी है, ये धूल मिट्टी हमारी आँखों के पीछे चली जाती है, तो ये अंदर इरिटेट करती है इसलिए आंख को निकालकर धोने की आवश्यकता पड़ती है। अब कोई व्यक्ति है जो ऑफिस में काम करता है और बंध एनवायरनमेंट में काम करते है जहाँ AC चल रही है ,उनकी आँखों में ज्यादा धूल मिट्टी नहीं जाता। ऐसे में इन व्यक्तियों को आंख रोज़ निकालकर साफ करने की जरूरत नहीं पड़ती। अब कोई व्यक्ति है जिसकी रास्ते के ऊपर दुकान है और वहाँ बहुत धूल मिट्टी उनकी आंख में जाती है या कोई कंस्ट्रक्शन साइट पे ही काम करते है, वहाँ काफी धूल मिट्टी उनके आँखों में जाती है। इन केसेस में हफ्ते में एक बार आँख को निकालकर साफ पानी से धोकर वापस पहन लेने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसा नहीं है कि पेशेंट को रोज़ आँख खोलनी पड़ी और ऐसा भी नहीं है कि रात में खोलकर सोनी पड़े तो इस आई को जो कस्टमाइज है इसको आप लंबे समय तक पहने रह सकते हैं। रोज़ निकालने खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
 
 
प्रश्न: ये 3D आई क्या है ?
 
डॉ: 3D आई का अर्थ है आँखों के अंदर का गेहराप जो आंख को असली जैसा रूप देता हो। 
 
प्रश्न: क्या 3D आई बनाना संभव है ?
 
डॉ: हा, 3D आई बनाना संभव है। 
 
प्रश्न: 3D आई की क्या फायदे हैं ?
 
डॉ: 3D आई बनानी से कोई भी वयक्ति आपके कितना भी पास बैठा हो ये समझ नहीं पता की कोई भी आंख नकली है। आर्टिफीसियल ऑय अगर 3D बनाई जाएं तो कोई ये नहीं बता सकता की आंख असली है या नकली, साइड से देखने पर भी आँख असली ही लगती है। 
 
प्रश्न : आर्टिफीसियल आई बनने में कितना समय लगता है ?
 
डॉ : आर्टिफीसियल आई को बनाने में ४ घंटे से लेकर ८ घंटे तक लग सकते हैं।
 
आर्टिफीसियल आई से सम्बंधित इतने सवालो का जवाब देने की लिए धन्यवाद।  हम फिर आपसे आर्टिफीसियल आई  से सम्बंधित और प्रश्ना ले कर आएंगे। 

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