क्या सिंह जो कि माता गौरी का वाहन है, माता को खाने वाला था जानें पूरी कथा- वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से 

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी 
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 
यूट्यूब वास्तुसुमित्रा 

दुर्गा-पूजामें प्रतिदिन का वैशिष्ट्य महत्व है और हर दिन एक देवी का है। नवरात्रि के ९  दिनों में मां दुर्गा के  ९ रूपों की पूजा होगी। ३ अक्टूबर  अष्टमी को महागौरी माता की पूजा होगी।  

नवरात्री में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है।ये स्वरुप माता का पूर्णतः गौरी का स्वरुप है।

माँ का ध्यान

माता की छवि की कल्पना करें, 4 भूजाएं और वाहन वृषभ है।  इनके ऊपर वाला दाहिने हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किए हुए हैं। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
 
शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए माता महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर उनके गौर वर्णका बना दिया,इसीलिए उन्हें महागौरी कहते हैं।

माँ गोरी की पूजा से क्या विशेष लाभ होता है 

जिस भी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में रेट्रोग्रेड अर्थात वक्रीया गृह है उनको इनके आराधना करनी ही चाहिए।  राहु केतु सभी की जन्मा पत्रिका में  रेट्रो होते हैं, इनको छोड़ के बाकि ग्रहो को देखें। पिछले जन्मो के गलत कर्मा के भोग से इस जनम में निवृति के लिए माँ गोरी का पाठ और पूजा। 

कैसे बना सिंह माता का वाहन?

एक सिंह काफी भूखा था और जंगल में घूमते घूमते उसे माता दिखी। माँ तपस्या कर रही थी। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, परन्तु उसने तुरंत माँ पर आक्रमण नहीं किया। वो माता के समीप बैठ गया और उनकी तपस्या पूरी होने की प्रतीक्षा करने लगा। माता जब उठी तो कमजोर सिंह को देख कर उन्हें दया आई और उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया।  

माँ को विशेष क्या चढ़ाएं

अपने श्रद्धा अनुसार सब चढ़ा दें जो आपकी इक्छा हो। ९ कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु २ साल से ऊपर और १०  साल सेअधिक न हो। कन्याओं को दक्षिणा देने के बाद उनके पैर छूकर उनका आश़ीवाद लें।

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