हरदोई। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक पत्रकार ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर स्वतंत्रता दिवस पर इच्छामृत्यु की मांग की है। पत्रकार का कहना है कि जिले के भ्रष्ट नेता व भूमाफिया कानून का खुला दुरुपयोग कर फर्जी मुकदमों से उसे और उसके परिजनों का जीवन तबाह कर दिया है, अपनी बेगुनाही के तमाम सबूत लेकर शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी निष्पक्ष जांच के बजाय प्रताड़ित किया जा रहा है।
हरदोई निवासी पीड़ित पत्रकार हरिश्याम बाजपेयी ने राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में कहा है कि वो द टेलीकास्ट हिंदी पत्रिका का सम्पादक है, उनकी निष्पक्ष खबरों से रंजिश मानकर जिले के भ्रष्ट नेता व माफिया द्वेष भावनावश नुकसान पहुंचाने के लिए षड्यंत्र रचते रहते हैं। विगत 05 जून को अकारण ही पुलिसकर्मियों की मदद से उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया, पत्रकार से बदसलूकी देख अन्य पत्रकार भी मौके पर पहुंचे और वीडियो बनाने लगे तो उसे रिहा कर दिया गया, जबकि पत्रकार को गिरफ्तार किए जाने का कारण नहीं बताया गया।
पीड़ित पत्रकार के अनुसार उक्त घटनाक्रम के बाद विगत 07 जून को थाना कोतवाली शहर में उनके विरुद्ध दलित उत्पीड़न व दुष्कर्म आदि की गंभीर धाराओं में पूर्णतया फर्जी व निराधार मुकदमा दर्ज करा दिया गया। जबकि उन्होंने कथित पीड़िता को पूर्व में न कभी देखा है और न ही कभी मिला है। एफआईआर में वर्णित कथित घटनाक्रम 13 मई 2022 की शाम करीब 05 बजे से रात 08 बजे का दर्शाया गया है। पीड़ित पत्रकार के मुताबिक उक्त समयावधि में वे कथित घटनास्थल से करीब 4 किमी. दूर अपनी पत्रिका के छपने के स्थान न्यू गायत्री प्रेस में मौजूद थे, इसकी पुष्टि उनकी गूगल लोकेशन मैप से की जा सकती है, इसके अतिरिक्त कथित घटनाक्रम की समयावधि में ही वे द टेलीकास्ट के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दैनिक समाचारों को पोस्ट कर रहे थे, तथा अपने फोन पर आने और जाने वाली कॉल्स से बातचीत कर रहे थे, इसके सभी साक्ष्य पुलिस को उपलब्ध कराए हैं।

पीड़ित पत्रकार का कहना है कि अपनी बेगुनाही के तमाम सबूत देने के बाद भी जिले के एसपी राजेश द्विवेदी भ्रष्ट नेता के भारी दबाव में हैं जिस कारण स्थानीय पुलिस निष्पक्ष विवेचना के बजाय साक्ष्यों को नजरंदाज कर रही है और मेरे विरुद्ध एकतरफा कार्यवाही कर रही है, पीड़ित पत्रकार के अस्थाई व मूल निवास पर कुर्की की नोटिस लगाकर पत्रकार के परिजनों का उत्पीड़न किया जा रहा है। अपने ऊपर दर्ज फर्जी मुकदमे के बाद लगातार हो रहे उत्पीड़न से तंग आकर पीड़ित पत्रकार ने राष्ट्रपति को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि उनकी पत्नी व 05 वर्ष का बेटा आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, पुलिस के डर से वे घर से दूर हैं, बेटे की पढ़ाई बाधित है। निष्पक्ष पत्रकारिता करने की इतनी बड़ी सजा मिलेगी! ऐसा कभी सोचा न था। आज़ाद भारत में आज भी पत्रकारों की कलम आज़ाद नहीं है। पीड़ित पत्रकार का कहना है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग करते करते थक हार चुका हूं, सरकारी सिस्टम की अनदेखी व शिथिलता के कारण मुझे न्याय नहीं मिल सका, इसलिए मुझे व मेरी पत्नी और बेटे को 15 अगस्त स्वाधीनता दिवस के दिन इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करें।

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