अहरौरा। मां भंडारी को मनावन डोला में मायके से विदाई कराने की वर्षों पुरानी परंपरा है। प्रथा के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष सावन मास के दूसरे मंगलवार को मां भंडारी का मनावन डोला सावन मास के दूसरे मंगलवार को गाजेबाजे के साथ परंपरागत ढंग से शिउर स्थित मायके में राजा कर्णपाल के किले से विदा होता है। इस बार भी माता की विदाई के लिए श्रद्धालुओं ने पूरी तैयारी की है।
इस मनावन डोला यात्रा की विशेष मान्यता है। रास्ते भर महिलाएं अक्षत और पुष्प की वर्षा कर सोहर और भक्तिमय गीतों संग मां को विदा करती रही हैं। कोरोना संक्रमण के चलते पिछली बार इस परंपरागत मनावन यात्रा को प्रशासन द्वारा रोक दिया गया था। इस वर्ष हर्ष और उत्साह के साथ शृंगारिया तथा मां भंडारी शक्तिपीठ के पुजारी मां की विदाई करा कर ले आएंगे। मां भंडारी को शक्तिपीठ स्थित मंदिर में विराजमान कराया जाएगा। मंगलवार को कहारों संग डोली में बैठकर मां के पर्वत शिखर पर पहुंचने की कहानी अत्यंत ही रोचक है। कहारों की मानें तो मां की सवारी डोली में आने से डोली का वजन भारी हो जाता है। विदाई गीतों तथा पारंपरिक पूजा के बाद रास्ते भर दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी रहती है। किसानों की मान्यता है कि जिस वर्ष मां की विदाई उनके खेतों से की जाती है उस वर्ष खेती और फसलों की पैदावार आश्चर्यजनक रूप से सर्वाधिक होती है। इस संबंध में गांव की महिलाओं ने बताया कि विदाई के दौरान कोई भक्त मां को रोकने के लिए हृदय से पुकारता है तो ढोला हल्का हो जाता है और मां भंडारी अपने मायके पर्वत शिखर पर वापस लौट आती हैं।
पूजा स्थल को अतिक्रमण से मुक्त कराने का निर्देश
अहरौरा। मां भंडारी शक्तिपीठ के मायके स्थित पारंपरिक पूजा स्थल पर अतिक्रमण की शिकायत ग्राम प्रधान ने एसडीएम चुनार नीरज पटेल से की गई है। प्रकरण का संज्ञान लेते ही एसडीएम ने डोला ठहरने के स्थान तथा पारंपरिक पूजा स्थल से तत्काल अतिक्रमण हटवाने का निर्देश दिया है। क्षेत्राधिकारी ऑपरेशन अजय राय, नायब तहसीलदार अरुण कुमार, थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और विवादित स्थल को खाली करा दिया।

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