औरैया // आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से बराबर कदमताल कर रही हैं इसी क्रम में लुहियापुर गाँव की महिला किसान सुखरानी ने फूलों की खेती कर इस बात को साबित किया है पारंपरिक खेती से घर का खर्च पूरा न पड़ने पर उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और फूलों की खेती शुरू की मेहनत और लगन से उनकी आमदनी बढ़ी। खुद समृद्ध होने पर उन्होंने गाँव की महिलाओं को भी राह दिखाई उन्हें बिक्री के लिए कम भाव पर फूल देती हैं, इन्हें बाजार में बेचकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं सुखरानी बताती हैं कि पारंपरिक खेती से घर का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा था ऐसे में उन्होंने उद्यान विभाग की सलाह पर फूलों की खेती शुरू की उनके पास ढाई बीघा जमीन है डेढ़ बीघा में गेंदा व एक बीघा में गुलाब की खेती करनी शुरू की डेढ़ बीघा में गेंदा उगाने में करीब 65 हजार व एक बीघा में गुलाब की खेती में करीब 30 हजार रुपये की लागत उन्होंने बताया हैं कि गर्मी के दिनों में सहालग ज्यादा नहीं है इसलिए गेंदा के बड़े फूल 20 से 25 किलो व गुलाब के 10 किलो फूल प्रतिदिन तोड़कर बिक्री कर रही हैं इन दिनों गुलाब का बाजार भाव 200 रुपये प्रति किलो तथा गेंदा का 100 रुपये किलो है। खेत से ही फूलों की बिक्री थोक दुकानदारों को कर देती हैं। साथ ही पालिका मार्केट के बाहर दुकान लगाकर खुद फूलों की बिक्री कर रही हैं इससे मुनाफा दोगुना से ज्यादा हो गया है सहालग बढ़ने पर फूलों की तोड़ाई दोगुनी हो जाती है। महीने में सभी खर्चे निकालकर 30 से 35 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है पहले पीछे हट गए थे घरवाले सुखरानी बताती हैं कि पति कुलवीर कुशवाहा ने पहले तो फूलों की खेती का नाम सुनकर मना कर दिया वह पारंपरिक खेती ही करना चाहते थे, लेकिन उसने हार नहीं मानी और दो साल पहले एक बीघा में गेंदा और आधा बीघा में गुलाब लगाया पहली साल अन्य फसलों से कम लागत पर अधिक मुनाफा हुआ इसके बाद परिवार भी साथ देने लगा आज लुहियापुर के अलावा पातेपुर, सुंदरीपुर, भरसेन, शहबदिया आदि गांवों के किसान उनसे फूलों की खेती के गुर सीखने आ रहे हैं और फ़ूलों की खेती कर खुद को भी समृद्ध करना चाह रहे हैं। 

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