एटॉमिक एनर्जी को सबसे पहले भारतीय महर्षि कणाद् ने व्याख्यायित किया था। महर्षि ने दो हजार वर्ष पहले ही अनेक सूत्र दिए हैं। वह जानते थे कि यदि आम आदमी तक पहुंचा देंगे तो उसका दुरुपयोग हो सकता है इसलिए उसे सूत्र रूप में दिया जिसे विद्वान ही समझ सकते हैं।यह कहना शासकीय पॉलिटेक्निक, गोंदिया के डॉ. प्रशांत शिव शर्मा का है। वह बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के छठे दिन शुक्रवार को मुख्य वक्ता थे। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के मूल विचारों को देखें तो पता चलेगा कि वे हमारे प्राचीन ज्ञान से कहीं न कहीं जुड़े मिलेंगे। बीएचयू के वेद विभाग के मनोन्नत आचार्य प्रो. हृदयरंजन शर्मा की अध्यक्षता में हुए सत्र का संचालन डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ने किया। इससे पूर्व विषय प्रवर्तन केंद्र के समन्वयक प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने की। धन्यवाद ज्ञापन अवनीश पाठक ने किया
दो हजार साल से भारत को एटॉमिक एनर्जी का ज्ञान
Bureau Chief-Varanasi Dr S C Srivastava
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