क्षेत्रीय असमानता को दूर करती परियोजनाएं
लखनऊ, दिनांक: 07 दिसम्बर, 2021
विकास की अंधा-धुंध दौड़ अक्सर क्षेत्रीय असमानता को जन्म देती है, जिसका दुष्प्रभाव सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक तैर पर स्पष्टतः दिखाई पड़ता है। जहां एक ओर कम विकसित क्षेत्र पिछडे़पन का शिकार होता रहता है वहीं विकसित क्षेत्र का और अधिक विकास होता चला जाता है। परिणामस्वरूप अविकसित क्षेत्र के लोग गरीब होते चले जाते हैं और उनका मन-मस्तिष्क कुंठा से ग्रस्त हो जाता है। परिणाम-स्वरूप समाज का अपराधीकरण होने लगता है। कई बार रोजगार की तलाश मे लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर तक चले जाते हैं जिससे पारिवारिक अलगाव की स्थिति बन जाती है।
पिछली जितनी भी सरकारें आयीं सब वोटबैंक को ही मजबूत करती दिखीं किसी ने भी देश में व्याप्त क्षेत्रीय असमानता को दूर करने में विशेष रूचि नही दिखाई। वर्तमान सरकार चाहे वो केन्द्र की हो या प्रदेश की, इस समस्या को दूर करने में काफी हद तक सफल हो रही है।
यदि हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रदेश का पूर्वी हिस्सा हमेशा से उपेक्षित रहा है। अवसंरचनात्मक विकास के साथ-साथ विकास के अन्य मुद््दों पर भी पूर्वांचल की तरफ कभी किसी ने खास तवज्जो नहीं दिया। परिणाम स्वरूप प्रदेश का पूर्वी हिस्सा हमेशा विकास की बाट जोहता रहा।
वर्तमान सरकार पूर्वाचल के समग्र विकास की ओर ध्यान केन्द्रित किए हुए है। जहां पूर्वांचल एक्सप्रेस ने चार चांद लगा दिए है वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा गोरखपुर में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन पूर्वांचल के विकास में नई जान फूंक देगा।
प्रधानमंत्री जी द्वारा गोरखपुर मंे 600 एकड़ क्षेत्रफल में 8603 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित खाद कारखाना राष्ट्र को समर्पित किया गया है। इस कारखाने से प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया एवं 2200 मीट्रिक टन लिक्विड अमोनिया का उत्पादन किया जाएगा जिसके परिणामस्वरूप लगभग 20000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय लोगों को भी रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। इस कारखाने का सबसे बड़ा लाभ कृषि के लिए पर्याप्त खाद की उपलब्धता है।
प्रधानमंत्री द्वारा 112 एकड़ क्षेत्रफल पर 1011 करोड़ रूपये की लागत से गोरखपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भी राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस संस्थान में 14 मॉड़यूलर ऑपरेशन थियेटर, 300 बेड, 125 एमबीबीएस सीटें होंगी। इसके अलावा संस्थान की अन्य विशेषताओं में आयुष ब्लॉक, मेडिकल ब्लॉक, नर्सिग कॉलेज का निर्माण, सीटी स्कैन, एमआरआई एवं अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं शामिल हैं। गोरखपुर एम्स के निर्माण से पूर्वाचल के लोगों की इलाज के लिए बड़े शहरों पर निर्भरता कर हो जाएगी। इस संस्थान से उत्तर प्रदेश के लोग तो लाभान्वित होंगे ही इसके अलावा बिहार, झारखण्ड व नेपाल के लोगों को भी उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त होंगी।
देश प्रदेश में बढ़ते वायरस अटैक के मद्देनजर शोध संस्थानों की महती आवश्यकता है इस क्रम में गोरखपुर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया है। इस रिसर्च सेंटर में जापानी इसेफेलाइटिस पर शोध व इसक रोकथाम हेतु उच्चगुणवत्तापूर्ण जांच की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। इसके अलावा इस रिसर्च सेंटर में कोविड जांच की सुविधा एवं इसके निदान हेतु रिसर्च सुविधा केन्द्र की भी स्थापना की गयी है। यहां वायरस रिसर्च और परीक्षण लैब के साथ-साथ अन्य विषाणु जनित बीमारियों पर शोध का भी प्रबन्ध किया गया है।
अगर समग्र रूप से विचार किया जाए तो प्रदेश का संपूर्ण विकास और हर क्षेत्र का विकास ही प्रदेश की जनता के सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक उन्नयन का कारण है। केन्द्र और प्रदेश की वर्तमान सरकार पूरी तरह इस विचार पर केन्द्रित होकर कार्य कर रही है

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