जिले के 124 प्रसव केंद्रों पर माँ-नवजात ट्रैकिंग एप ‘‘मंत्र’’ योजना लागू
-अब ऑनलाइन होगी जच्चा-बच्चा से जुड़ी सारी जानकारी
-माँ और नवजात को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना होगा आसान
बलरामपुर, 18 दिसम्बर। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब मंत्र का इस्तेमाल करेगा। मां-नवजात टैकिंग एप के जरिए गर्भवती के स्वास्थ्य संबधी आंकड़े डिजिटल हो जाएंगे। गर्भवती को एडमिट करते वक्त स्टाफ नर्स द्वारा एडमिशन का समय, उसके स्वास्थ्य की स्थिति और दिया जा रहा उपचार को फीड किया जाएगा। इसे लगातार और ट्रैक किया जा सकेगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बी.पी. सिंह ने शनिवार को बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई पहल की है। जिसके तहत जिले के 124 प्रसव केंद्रों पर माँ-नवजात ट्रैकिंग एप (मंत्र) योजना लागू की गयी है। इसके तहत केंद्र पर प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिला के भर्ती होने का समय, उपस्थिति, दिया गया उपचार व रेफर करने या न करने का कारण समेत अन्य जानकारी अब वहां तैनात स्टाफ नर्स व एएनएम को एप पर देनी होगी। इस तरह की ऑनलाइन निगरानी होने से संस्थागत प्रसव की गुणवत्ता में सुधार होगा और माँ-नवजात स्वास्थ्य आंकड़ों बेहतर होंगे। उन्होने बताया कि माँ और नवजात शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से प्रसव केंद्रों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। इसके लिए प्रसव केन्द्रों से जुड़ी समस्त जानकारियों को एप में भरा जाएगा। यानी अब माँ और नवजात शिशु की पूरी जानकारी रजिस्टर के साथ-साथ एप पर भी अपलोड होगा। इस व्यवस्था से जिले के 124 प्रसव केंद्र मां नवजात ट्रैकिग एप (मंत्र) से जुड़कर डिजिटल हो जाएंगे। स्टाफ नर्स व एएनएम को भर्ती गर्भवती का समय व उसकी स्थिति, दिया गया उपचार व प्रसूता को रेफर करने या न करने का कारण समेत अन्य सभी जानकारी एप पर देनी होगी। शासन द्वारा इसकी आनलाइन निगरानी होगी। इससे संस्थागत प्रसव की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता विनोद त्रिपाठी व डीएमसी यूनिसेफ शिखा श्रीवास्तव ने बताया कि सभी ब्लाकों और जिला अस्पतालों में प्रशिक्षण सम्पन्न हो चुका है। अब रियल टाइम डाटा की एंट्री शुरू हो चुकी है। इसके लिए प्रदेश से जिले के लिए डैशबोर्ड भी बनाया गया है जिससे कहां कितनी इंट्री हो रही है सहित एक एक प्रसूता के बारे में जानकारी ली जा सकती है। उन्होने बताया कि इससे जिले स्तर पर कई प्रकार की रिपोर्ट भी बनाई जा सकेगी।
 पहले 01 माह बाद ही रिपोर्ट ब्लाकों से आती थी अब हम रोज की स्थिति देख सकते है। इसके लिए सभी डिलीवरी पॉइंट के लिए अलग अलग यूजर आईडी और पासवर्ड स्टेट से दिए गए है।
उमेश चंद्र तिवारी
हिन्दीसंवाद न्यूज़

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