NCR News:देश में 29 अक्टूबर के बाद रोज कोरोना के नए केस 13 हजार का आंकड़ा नहीं छू पाए हैं। इससे लगता है कि देश से कोरोना खत्म होता जा रहा है, मगर इस खुशफहमी में की गई लापरवाही भारी पड़ सकती है। एक तथ्य यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान यानी इस साल अप्रैल-मई में हम रोज जितने टेस्ट कर रहे थे, अभी उसके आधे ही टेस्ट हो रहे हैं।अप्रैल में रोज औसतन 18 लाख, मई में 19.5 लाख जबकि जून में प्रतिदिन औसतन 19 लाख टेस्ट हो रहे थे। जबकि 31 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच किसी भी दिन टेस्ट 11 लाख तक नहीं पहुंचे।दूसरी चिंताजनक बात यह है कि जिस आरटीपीसीआर को पूरी दुनिया में टेस्टिंग का गोल्ड स्टैंडर्ड माना गया है, उसकी हिस्सेदारी देश में घट रही है। अप्रैल से जून के बीच 70% आरटीपीसीआर 30% रैपिड एंटीजन टेस्ट होते थे। मगर 29 अक्टूबर से 4 नवंबर तक के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुल जांच में आरटीपीसीआर की हिस्सेदारी 8% घटकर अब 62% ही रह गई है।

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