औरैया // आलू की फसल में जीवाणु या फफूंद जनित रोगों की रोकथाम हेतु भूमि और बीज शोधन विधियों का प्रयोग कर किसान भाई अपनी आलू की फसल में बीमारियों की रोक थाम हेतु निम्नलिखित उपाय करें जिससे आलू की फसल में बीमारियों का प्रकोप न होने पाए जनपद औरैया के परवाहा गाँव में स्थित सरपंच समाज कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने बताया कि किसान भाई इस प्रकार आलू की अच्छी पैदावार कर सकते है जैविक विधि से भूमि शोधन करने के लिए ट्राइकोडर्मा कल्चर या धूल को 1 से 1.5 किग्रा प्रति एकड़ या नीम की खली को 3 से 4 किग्रा प्रति एकड़ की दर से खेत में बुवाई से पूर्व खेत मे मिलाने के बाद किसान भाई अपने बीज को भी ट्राइकोडर्मा कल्चर 5 ग्राम को प्रति 1 किग्रा बीज से शोधित करने के बाद ही आलू की बुवाई करनी चाहिए। इससे आलू की फसल में लगने वाले कीट एवं बीमारियों की रोक थाम की जा सकती है आलू में बीज शोधन से पूर्व बीज का चयन करते समय किसान भाई ध्यान दें कि बीज किसी भी बीमारी से ग्रसित न हों हमेशा स्वस्थ्य बीज का ही चयन करें जो बीमारी रहित हो (आलू का बीज कटा हुआ, सड़ा हुआ, काले से भूरे या लाल रंग के धब्बे, किसी भी प्रकार का सफेद रंग का जाला या अन्य कोई भी आलू में सड़न या दुर्गन्ध न हो) इस प्रकार के आलू को छांट कर बीज से अलग करने के उपरान्त ही बीज शोधन विधि किसी छायादार स्थान पर करें इसके बावजूद भी कोई समस्या होने पर किसान बन्धु परवाह स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क कर परामर्श प्राप्त कर सकते है। 

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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