औरैया // कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने जानकारी देकर बताया कि समय रहते रोकथाम से धान की फसल को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि धान की फसल में बाली निकलते समय अधिक नमी और बादल छाए रहने पर फसल में कंडुआ रोग का बीजाणु धान की बाली के दानों को प्रभावित करता है इससे प्रभावित दानों पर पीले रंग का पाउडर दिखाई देने लगता है धान की बाली में यह रोग लगने पर उसके दाने न सिर्फ खराब हो जाते हैं बल्कि वजन भी कम हो जाता है इस रोग से अधिक प्रभावित पौधों की बालियों को सावधानी पूर्वक खेत से उखाड़कर दूर नष्ट कर देना चाहिए इस रोग में फफूंदी नाशक का छिड़काव भी काम नहीं करता इसलिए फसल में इसके लक्षण दिखाई देते ही रोग का उपचार करना चाहिए बीज शोधन विधि से कंडुआ रोग की रोकथाम कर सकते हैं इसके लिए फफूंदीनाशक कार्बेंडाजिम दवा को 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज का शोधन कर बोयें इस रोग के बीजाणु मृदा में ही रहते हैं मृदा शोधन हेतु गर्मी में गहरी जुताई करें व खेत को ट्राइकोडर्मा धूल से या ट्राइकोडर्मा कल्चर से शोधित कर धान की रोपाई करें फसल की प्रारंभिक अवस्था में यूरिया का प्रयोग संतुलित मात्रा में करना चाहिए रोग पर नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर खेत में 50 प्रतिशत बालियां आने से पहले छिड़काव करना फायदेमंद रहता है या क्लोरथनोनिल 75 प्रतिशत डब्लूपी की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रभावित फसल पर छिड़काव करना चाहिए इसके अलावा कैप्टान नामक दवा का भी प्रयोग कर फसल को बचाया जा सकता है।

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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