उतरौला (बलरामपुर) किसानों को इन दिनों अपनी फसलों को प्रतिदिन निगरानी करते रहनी चाहिेए। ताकि उर्द,मूंग, सोयाबीन व धान की फसल में पीला चित्वर्ण रोग (पीला मोजेक)का प्रकोप दिखाई देने पर उचित नियंत्रण के उपाय अपनाएं।
     उक्त जानकारी कृषि गोदाम प्रभारी डॉ जुगुल किशोर ने देते हुए बताया कि पीला चित्तवर्ण रोग की पहचान यह है कि प्रारंभ में पत्तियों पर पीले सुनहरे चकत्ते बन जाते हैं और बाद में पूरी पत्ती पीली पड़ जाती है। और धीरे धीरे पूरा पौधा पीला हो जाता है सफेद मक्खी इस रोग की वाहक होती हैं । 
पीला मोजेक  रोग का प्रकोप होने पर खेत से रोगी पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में दबाकर नष्ट कर दें तथा पांच प्रतिशत से अधिक पौधे प्रभावित (आर्थिक क्षति स्तर) दिखाई देने पर पीला मोजेक एवं माहू कीट के नियंत्रण हेतु फसल में डाईमिथोएट 30प्रति ई सी की एक लीटर मात्रा या इमीडाक्लोपिड 17.8 प्रति एस.एल की 250से 300एम एल मात्रा या प्रोफेनोफांस 40सायपरमेथ्रिन 4ई सी की एक लीटर मात्रा को तथा फफूंदी नाशक रशायन कार्बेन्डाजिम 12मेन्कोजेब 63की एक किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
असगर अली
उतरौला

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