आगरा,राजकुमार गुप्ता । ग़लत काम करने वालों से सुबिधा शुल्क लेकर पुलिस 64 विद्या एवम 16 कलाओं का पूरा पूरा प्रयोग मनमाने ढंग से बिना छानबीन के गरीबों को महा झूठे मुकदमों में फंसा देती हैं।वहीं, झूठे मुकदमों में फंसे ग़रीब लोग जब ऐसे पुलिस अधिकारियों को हाय देकर कोसते हैं तो ग़लत काम करने वाले पुलिस व परिवार को गंभीर बीमारियां लग जाती हैं जो जीवन भर इनको परेशान करती हैं गरीबों की बद्दुआओं सारा ग़लत पैसा कलेस के साथ एक न एक दिन ठिकाने लग जाता हैं। ऐसा पुलिस द्वारा सताए ग़रीब लोगों व गुज़ुर्ग विधवा महिलाओं का रो रो कर कहना हैं। उधर आदर्श लोहामंडी पुलिस का नया कारनामा देखकर आप हैरान रह जाएंगे। पीड़ित बृद्ध बुज़ुर्ग महिला की कोई मदद नही की उचित कार्यवाही की बात कहकर थाने से टरका दिया और उल्टा दबंग से सेवा शुल्क लेकर पीड़ित बृद्ध महिला के परिवार का चालान काट दिया। क्या ऐसी ही होती हैं आदश पुलिस..? लोगों का कहना हैं मामले की गंभीता को देखकर तत्काल अपना सुविधा शुल्क लेकर 40 साल पूर्व में मरे व्यक्ति को जिंदा कर देती हैं, साथ ही डेढ़ साल पूर्व में मरे व्यकि को भी जिंदा कर देती हैं। ये जिंदा करने करने टेक्नी व काला पीला करने की एवम रस्सी का सांप बनाने की टेक्निक पुलिस से पास हैं। इसी संदर्भ में लोगों में बताया कि ये सब हम युहीं नहीं कह रहें। इनके महान पुरुस्कार देने वाले कारनामों के कारण कई कई ग़रीब बिधवा महिलाएं व पुरुष आज़ भी दीवानी की अदालतों में अपनी मेहनत की कमाई से कभी 20 तो कभी 100 तो कभी 1000 हजार तो कभी कर्ज़ पर लेकर 10 हजार में झूठे मुकदमों से हर महीने झूझ रहें हैं और पेट पर हाथ फेर कर कोस रहे हैं।क्योंकि ये आदर्श थाना पुलिस हैं। वहीं, हर महीने सालों से ग़रीब इनकी बदौलत तारीखें पर तारीख़ कर रहें हैं। उनकी माफियाओं के सामने व उनकी गलत कमाई देख कर सुनने वाला कोई नही हैं। पुलिस बिना जांच पड़ताल के कई ग़रीब पीड़ित को मुज़रिम बना देती हैं। जो ख़ामख़ा इनके द्वारा लिखी एक लाइन के कारण महा झूठे मुक़दमों में सालों तारीख़ पर तारीख अपना काम छोड़ कर करते हैं। और वो लोग ख़ामख़ा जेल भी काटते हैं। इनके द्वारा सताए गए ग़रीब लोग बच्चों व परिवार को रात दिन कोसते हैं। हाय देते हैं।अगर आदर्श थाना पहुँच कर ग़रीब पीड़ित सवाल करे तो उसे नया नया ज्ञान बांटते हैं। व उनके परिवार को झूठे कानूनी पचड़ों में फसाना अपनी शान समझती हैं। इनको अब कोर्ट में न्यायधीश की कुर्सी पर बैठे जजों का भी कोई डर नहीं यहां सब चंगा सी। इनको लगता हैं कि कानून की मूर्ति के आखों पर हम ने काली पट्टी बांध दी हैं सुविधा शुल्क लेकर। यानी पा से पुलिस पा से पैसा ऐसा लोग कहते हैं। इनके थाना छेत्र में कुट्टू,
हरयाणा मार्का शराब,
चरस,अफीम,गांजा,सत्ता और जुआ आदि गैर कानूनी काम खुलयाम हो रहे हैं लेकिन लाखों में तनख्वा सरकार से लेने वालों को दिखते हीं नहीं। ये लोग अपनी बर्दी के घमंड में आला अधिकारियों के आदेशों को भी डस्टविन में फेंक देते हैं। ये सोच कर की हम पुलिस हैं। यहां के हम मालिक हैं। हम से कोई पवार फूल नहीं। हम जो करेंगे वहीं सही हैं। हम किसी के आदेश क्यों माने कोई हमारा कर क्या लेगा। हम बदमाश को मासूम और पीड़ित को मुजरिम बना देंगे तो कोई हमारा क्या बिगाड़ लेगा। अब हम ही सर्वे सर्वा हैं। सुविधा शुल्क पाने के लिए हम नो एंट्री में बहन पर्किंग बना देंगे। और कोई सुबिधा चाहिए हम वो भी उपलब्ध करा देंगे। कोई सवाल करेगा तो मार लगाएंगे,जेल में डाल देंगे। तो कोई हमारा क्या कर लेगा..? क्योंकि हम पुलिस हैं। कप्तान साहब ऐसे लोगों के लिए आप की कानून की किताब में क्या सजा हैं बताएं..? ऐसा लोग कहते हैं।
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