अम्बेडकर नगर में हो रहे पत्रकार उत्पीडन को लेकर प्रेस कलब की हुई बैठक 

          गिरजा शंकर गुप्ता (ब्यूरो)
अम्बेडकर नगर । जनपद में हो रहे पत्रकारों पर हमला को लेकर प्रेस क्लब के सदस्य साथियों से प्रेस क्लब के अध्यक्ष द्वारा कहां गया पत्रकार पर हमला करना निंदनीय है हम इसकी घोर आलोचना करते हैं जो पत्रकार पर डॉक्टर संगीत जी द्वारा अपने गुर्गे लेकर आना मारना पीटना और उनके कहने पर पत्रकार पर पिस्टल कनपटी धरना और बेइज्जत करना अब यही होगा जिला अम्बेडकर नगर में पत्रकार अब असुरक्षित अपने को महसूस करने लगे हैं इस बात को लेकर पीड़ित पत्रकार ने जब कोतवाली अकबरपुर थाना प्रभारी निरीक्षक अमित सिंह को एफ आई आर दर्ज करने को कहा तो उनके द्वारा पत्रकार को बताया जाता है कि डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती शासनादेश जारी हुआ है । किस संविधान में लिखा गया है कि डॉक्टर पर मुकदमा नहीं लिखा जाएगा। हां अगर डॉक्टर को मारने पिटने वा मारडलने की इजाज़त है तो कुछ और है लेकिन किस संविधान में और किस धारा में लिखा गया है। अब तक यही जाना जा रहा था कि गुनाह करने वाला चाहे अधिकारी हो चाहे नेता हो कोई बचा नहीं है। *अगर कोतवाल साहब डाक्टर के उपर मुकदमा नहीं दर्ज कर सकते तो पत्रकार पर बिना बिना किसी जांच के किस वेस पर मुकदमा दर्ज हुआ अगर डॉक्टर सरकारी मुलाजिम है तो पत्रकार भी स्वतंत्र है अपनी न्यूज़ के लिए आखिर वह भी भारत का नागरिक है और देश का चौथा स्तम्भ है*।
अगर पत्रकार गुनाह किया होता तो सी एम ओ साहब को फोन करके नही बताता वह पत्रकार वहां से भाग जाता।
सी एम ओ साहब सारी बात सुन भी रहे हैं और खुद डॉक्टर संगीत जी को प्राइवेट हॉस्पिटल से बुलाया भी जाता है सी एम ओ साहब भली भांति सब सच्चाई जान भी रहे हैं मगर डाक्टर संगीत एवं उनके गुर्गे के डर जांच कमेटी गठित नहीं करते विडियो आडियो  सुन कर और देख कर डॉक्टर संगीत बर्खास्ती की मोहर लगा देते । जब पत्रकार पर हमला सुन रहे थे सी एम ओ तो पुलिस को सूचना क्यों नहीं दिए अगर उसी समय सी एम ओ साहब  मौके पर लगे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को सूचना दी गई होती तो पत्रकार मार नही खाया होता कई सवाल उठ रहे हैं सीएमओ साहब के द्वारा पत्रकार को रोकना डॉक्टर संगीता द्वारा लाए गए गुर्गों के द्वारा पत्रकार पर पिस्टल लगाना एफ आई आर दर्ज ना होना कहीं मिली जुली सरकार तो नहीं चला रहे हैं जिससे पत्रकार को परेशानी का सामना करना पड़े । अस्पताल जान देने का मंदिर है मगर डॉक्टरों द्वारा जान लेने का काम किया जा रहा है।

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