तीसरी लहर आने से पहले यहां दूसरी लहर में ही बीएचयू अस्पताल में बच्चों के इलाज में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। रविवार को 10 दिन के एक बच्चे को बीएचयू अस्पताल में बेड खाली न होने की बात कह कर उसे मंडलीय अस्पताल रेफर कर दिया गया। ऑटो में ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर परिजन भी बीएचयू से निकलकर मंडलीय अस्पताल भटकते रहे। यहां भी वेंटिलेटर ना होने की बात कहकर मना कर दिया गया। इस तरह की स्थिति तब है जब बीएचयू में ही बच्चों के लिए बने एनआईसीयू, पीआईसीयू  में बेड खाली हैं।


मूल रूप से सैदपुर के महमूदपुर निवासी शशिभूषण यादव के बच्चे का जन्म सैदपुर के एक अस्पताल में हुआ। यहां बच्चे को सांस लेने में तकलीफ थी, यहां से डॉक्टर ने वाराणसी महावीर मंदिर स्थित एक निजी अस्पताल में रेफर किया। शशिभूषण के भाई चंद्रभूषण के मुताबिक किसी तरह बच्चे को लेकर महावीर मंदिर के पास डॉक्टर के यहां पहुंचे और वहां भी डॉक्टर ने बीएचयू रेफर कर दिया।दस दिन के बच्चे को सांस लेने में तकलीफ थी और हालत गंभीर होता देख परिजन बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे। यहां रविवार सुबह 11:20 बजे पर्चा बना और डॉक्टरों ने इमरजेंसी में देखा, कुछ दवाइयां लिखीं। करीब आधे घंटे बाद बीएचयू में बेड न होने की बात कहकर कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल रेफर कर दिया। पहले तो परिजन कुछ समझ नहीं पाए कि आखिर बीएचयू से कबीरचौरा रेफर किया जा रहा है। लेकिन बच्चे की तबीयत भी बिगड़ती जा रही थी तो आनन-फानन ऑटो में ही ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर मंडलीय अस्पताल गए। मजे की बात तो यह कि बीएचयू अस्पताल से ही उसको ऑक्सीजन सिलिंडर भी मिला।

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