*सुदामा के चावलों में*
*दखल न थी- प्रेम था*
*मालिनी कुब्जा की कोई*
*शक्ल न थी- प्रेम था*
*धन्ना की पूजा में कोई*
*अक्ल न थी -प्रेम था*
*मीरा के कीर्तन में कोई*
*नकल न थी-प्रेम था*
*कौन से हीरे जड़े थे*
*नरसी की खड़ताल में*
*क्या बांधकर लाया था*
*निर्धन ,फ़टे हुए रुमाल में*
*वन में जाकर भी खाया*
*द्रौपदी के थाल में*
*नित नित माखन लुटा*
*गोपियों के जाल में*
*जिसके जूठे बेर खाए*
*उसकी क्या बिसात थी*
*विदुरानी के छिलकों में*
*भी , प्रेम की ही तो बात थी...*
*आप सबका अभिवादन है*--------++अयोध्या ब्यूरो चीफ, डा०ए०के०श्रीवास्तव++
Bahut sundar aur sateek khoobsurat rachna
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