दबंग बैंक प्रबंधक के मनमाने व्यवहार से आजिज ग्राहक समय का नही रहता कोई ध्यान 

*बहराइच।* एक तरफ सरकार सभी अधिकारियों को निर्देश देती है कि हर कर्मचारी 09:00 बजे अपने अपने कार्यालय में पहुंचे लेकिन मुख्यमंत्री का आदेश अधिकारियों पर  कोई फर्क नहीं पड़ता है ऐसे ही एक मामला है थाना खैरिघाट के अन्तर्गत रामपुर धोबिहार का जहां पर इंडियन बैंक के मैनेजर का राज चलता है यहा पर सरकार का कोई भी आदेश बैंक मैनेजर नहीं मानते और खुली दबंगाई करते हुए बैंक मैनेजर खुद तय करते हैं कि बैंक कब खुलेगा और कब बंद होगा वहीं बैक के खाता धारक बैंक मैनेजर के इस मनमानी से परेशान हैं खाता धारक सुबह से ही बैंक के सामने बैठ कर बैंक खुलने का इंतजार किया करते हैं पर बैंक मैनेजर इन गरीब खाता धारकों को परेशान देखकर मैनेजर साहब पर कोई असर नहीं पड़ता है बैंक मैनेजर कभी 11:00 तो कभी 12:00 बजे बैंक खुलवाते है इस समस्या से खाता धारक परेशान हैं परन्तु उच्च अधिकारी भी मामले से अनजान बने हुए हैं जब इसकी सूचना मीडिया कर्मियों को मिली तो मीडिया कर्मी जब इंडेन बैंक पहुंचे तो बैंक का चैनल बंद था जब मीडिया कर्मी बैंक के अन्दर जाने के लिए बड़े तो गेट पर मौजूद गार्ड ने मीडिया कर्मियों को अन्दर नही जाने दिया और गार्ड मीडिया कर्मियों से कहते हैं कि बैंक 12:00 बजे खुलेगी तब आना जब मीडिया कर्मियों ने गार्ड से कहा कि हर जगह तो बैंक दस बजे खुलता है तो ये बैंक क्यू नही खुलता तो गार्ड साहब कहते हैं कि यह बैंक बैंक मैनेजर के कहने पर ही खुलता है तो मीडिया कर्मियों ने कहा कि हम बैंक मैनेजर से मिलना चाहते हैं तो वहां पर मौजूद गार्ड ने मीडिया कर्मियों से जम कर अभद्रता किया और कहा कि तुम्हें जो करना है करो लेकिन बैंक 12:00 के बाद ही खुलेगा जब मीडिया कर्मियों ने इसकी सूचना थाना खैरीघाट में दिया तो खैरीघाट के उप निरीक्षक बैंक मैनेजर और गार्ड के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय मामले को सुलह करने के लिए दबाव बनाने लगे लेकिन मीडिया कर्मियों द्वारा दिया गया प्राथना पत्र पर खैरिघाट के पुलिस ने कोई कार्रवाई नही किया और जब कुछ मीडिया कर्मी थाना खैरिघाट के प्रभारी निरीक्षक को फोन कर मामले के बारे जानकारी प्राप्त करना चाहा तो प्रभारी निरीक्षक साहब का फोन नही उठा अगर अब इस तरह हर जगह मीडिया कर्मियों से अभद्रता होती रहेगी तो जनता अपनी परेशानी लेकर कहा जाए जब जनता कि सुनवाई कोई भी अधिकारी नहीं करता है और अगर मीडिया कर्मी जब अधिकारियों कि इस काली कारतूत को दिखाती है तो उल्टे ही मीडिया कर्मियों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है और थानों में जब पुलिस मीडिया कर्मियों कि सुनवाई नहीं करती है तो जनता कि कैसे करतीं होगी। 

राज कुमार यादव 
बहराइच 

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