राष्ट्रपति ने जनपद गोरखपुर में उ0प्र0 सरकार द्वारा 268 करोड़ रु0 की लागत से निर्मित महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया
कार्यक्रम में राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री उपस्थित रहे
यह विश्वविद्यालय हमारी समृद्ध प्राचीन परम्पराओं का नवनिर्मित तथा प्रभावशाली आधुनिक केन्द्र : राष्ट्रपति
विश्वविद्यालय का लोकार्पण, उ0प्र0 ही नहीं अपितु पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा-सेवा के विकास में एक मील का पत्थर
राष्ट्रपति ने उ0प्र0 के इस प्रथम आयुष विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट परिकल्पना और निर्माण को दिशा एवं गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, परम्परा और आधुनिकता के संगम के नए प्रतिमान स्थापित करेगा तथा भविष्य में एक महान संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाएगा
आयुष में समाहित आयुर्वेद, योग और सिद्धा पद्धतियां विश्व समुदाय को भारत की अनमोल सौगात
18वीं सदी के सन्यासी विद्रोह से लेकर सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम तक, गोरखपुर के नाथ-पंथ के योगी जन-जागरण और स्वाधीनता संग्राम के सूत्रधार रहे
लगभग 100 वर्षों से गीता प्रेस, गोरखपुर ने भारत के जनमानस को धर्म और संस्कृति से जोड़े रखने का महान कार्य किया
गीता प्रेस के प्रकाशन संस्कृत और हिन्दी के अलावा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध
राष्ट्रपति को ओड़िआ भाषा में गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित शिव पुराण और भागवत की प्रतियां भेंट की गईं
विगत कुछ वर्षों में गोरखपुर में इन्फ्रास्ट्रक्चर का बहुत तेज गति से विकास हुआ, गीडा की गतिविधियों में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ
महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसी विलक्षण विभूति के पवित्र नाम से जुड़े इस विश्वविद्यालय में आकर उनके प्रति श्रद्धा का और अधिक प्रबल संचार हो रहा
देश की राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा मंत्रिगण आदि सभी महानुभाव स्वस्थ तथा विकसित भारत के निर्माण की दिशा में निरन्तर अग्रसर : राज्यपाल
आज का दिन पूर्वी उ0प्र0 के लिए अत्यन्त गौरवशाली, उ0प्र0 में यह आयुष पद्धति का पहला विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री
यहां पर आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग व नेचुरोपैथी तथा सिद्धा पद्धति से जुड़ी आरोग्यता की विधाओं का लाभ लोगों को प्राप्त होगा
यह विश्वविद्यालय रिसर्च और डेवलपमेण्ट केन्द्र के रूप में विकसित होकर यहां के किसानों व युवाओं के लिए ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में रोजगार की नई सम्भावनाओं को प्रस्तुत करेगा
प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप यह आयुष विश्वविद्यालय हेल्थ टूरिज्म के नए डेस्टिनेशन के रूप में दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा
प्रदेश के 06 मण्डलों में आयुष पद्धति का कोई महाविद्यालय नहीं, सरकार इन मण्डलों में आयुष पद्धति का एक-एक कॉलेज स्थापित करेगी
आरोग्यता के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में न्यूनतम 100 बेड से युक्त एक हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर की स्थापना की जाएगी
जनपद में आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पंचकर्म, क्षारसूत्र सहित आयुष की अन्य पद्धतियों से सम्बन्धित एक-एक केन्द्र प्रदेश सरकार द्वारा अथवा पी0पी0पी0 मोड पर स्थापित किया जाएगा
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आज आयुष मंत्रालय परम्परागत आरोग्यता की पद्धति का अनुसरण करते हुए सम्पूर्ण आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त कर रहा
भगवान गोरखनाथ ने आयुर्वेद में रस शास्त्र और धातु विज्ञान का आविष्कार नौ नाथ व चौरासी सिद्धों की परम्परा को व्यवस्थित स्वरूप देकर नेतृत्व प्रदान किया था
लखनऊ : 01 जुलाई, 2025
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने आज जनपद गोरखपुर में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 268 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में प्रदेश के विकास पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन तथा पौधरोपण किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि गुरु गोरखनाथ के बारे में कहा गया है कि आदिगुरु शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली और महिमापूर्ण महापुरुष भारतवर्ष में दूसरा नहीं हुआ। गोरखपुर योगभूमि है। गुरु गोरखनाथ ने इस क्षेत्र को अक्षय आध्यात्मिक ऊर्जा से समृद्ध किया है। यह परमहंस योगानन्द की जन्मभूमि भी है। आप सभी भाई-बहन ऐसी महान स्थानीय परम्पराओं से जुड़े हुए हैं, जिनका राष्ट्रीय महत्व है, जिनका पूरी मानवता पर प्रभाव है। यह प्रसन्नता की बात है कि श्री आदिनाथ, श्री मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गोरखनाथ की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए गोरखपुर से प्रसारित हुआ नाथ-पंथ भारत के कोने-कोने में तथा अन्य देशों में भी मानवता के कल्याण में सक्रिय है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि तपस्या, साधना और अध्यात्म की यह धरती आत्म-गौरव तथा राष्ट्र-प्रेम की आधारभूमि भी है। 18वीं सदी के सन्यासी विद्रोह से लेकर सन् 1857 के स्वाधीनता संग्राम तक, गोरखपुर के नाथ-पंथ के योगी जन-जागरण और स्वाधीनता संग्राम के सूत्रधार रहे हैं। उन्हांने गोरखपुर से जुड़ी महान विभूतियों को प्रणाम करते हुए कहा कि इस धरती से बाबू बन्धु सिंह और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे बलिदानियों की गाथाएं जुड़ी हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि लगभग 100 वर्षों से गीता प्रेस, गोरखपुर ने भारत के जनमानस को धर्म और संस्कृति से जोड़े रखने का महान कार्य किया है। गीता प्रेस के प्रकाशन संस्कृत और हिन्दी के अलावा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। ओड़िआ भागवत के नाम से विख्यात, अति-बड़ी जगन्नाथ दास द्वारा रचित भागवत महापुराण को ओडिशा के लोग बड़े सम्मान से पढ़ते हैं। ओड़िआ भागवत का प्रकाशन और प्रसार भी गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा किया गया है। कल शाम को उन्हें श्री गोरखनाथ मन्दिर में दर्शन एवं पूजन करने का सौभाग्य मिला। वहां उन्हें ओड़िआ भाषा में गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित शिव पुराण और भागवत की प्रतियां भेंट की गईं। वे पुस्तकें उनके पास गोरखपुर की अमूल्य सौगात और स्मृति के रूप में सदैव संरक्षित रहेंगी।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में गोरखपुर में इन्फ्रास्ट्रक्चर का बहुत तेज गति से विकास हुआ है। गीडा की गतिविधियों में बड़े पैमाने पर विस्तार हुआ है। यहां के टेराकोटा के कलात्मक उत्पाद देश-विदेश में निरन्तर और अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। ऐसी अनेक उपलब्धियों से यहां के निवासियों में निश्चय ही नई ऊर्जा और आकांक्षाओं का संचार हो रहा होगा। महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसी विलक्षण विभूति के पवित्र नाम से जुड़े इस विश्वविद्यालय में आकर उनके प्रति श्रद्धा का और अधिक प्रबल संचार हो रहा है। यह विश्वविद्यालय हमारी समृद्ध प्राचीन परम्पराओं का नवनिर्मित तथा प्रभावशाली आधुनिक केन्द्र है। इस विश्वविद्यालय का लोकार्पण करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। यह लोकार्पण, उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा-सेवा के विकास में एक मील का पत्थर है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि यहां उच्चस्तरीय सुविधाओं का निर्माण किया गया है। इन सुविधाओं का लाभ बड़ी संख्या में जन-सामान्य को सुलभ होने लगा है। मुझे अवगत कराया गया है कि इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज यहां की उत्कृष्टता से लाभान्वित हो रहे हैं। यहां आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्चतम उपाधियों के स्तर पर शिक्षण एवं शोध कार्य किया जाएगा। आयुष पद्धतियों से जुड़े रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शिक्षा भी यहां दी जाएगी। पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विश्वसनीय और स्वीकार्य बनाने के लिए यहां शोध कार्यों पर विशेष बल दिया जाएगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश के इस प्रथम आयुष विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट परिकल्पना और निर्माण को दिशा एवं गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री जी की सराहना की।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के अन्तर्गत संचालित सभी विश्वविद्यालयों का यह सौभाग्य है कि उन्हें कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल जी का मार्गदर्शन मिल रहा है। आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा तथा सिद्धा जैसी भारत की पुरातन प्रणालियों में समग्र और सार्थक जीवन जीने की वैज्ञानिक पद्धतियां बतायी गई हैं। 100 वर्ष से भी अधिक आयु तक सभी इन्द्रियों को समर्थ बनाए रखने तथा स्वावलम्बी बने रहने की प्राचीन प्रार्थना यह प्रमाणित करती है कि आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित हमारी पारम्परिक जीवन-शैली बहुत अच्छी थी। आयुर्वेद पर आधारित हमारी प्राचीन जीवन-शैली में दिनचर्या, रात्रिचर्या और ऋतुचर्या पर बहुत ध्यान दिया जाता था। संतुलित आहार, विहार और विचार को महत्व दिया जाता था। हमारे यहां आरोग्य को धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की उत्तम आधारशिला माना गया है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आयुर्वेद हमारी धरती से जुड़ा हुआ है। हमारे खेतों में, हमारे जंगलों में, औषधीय वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों का खजाना आज भी मौजूद है। इन पर आधारित आसव और अरिष्ट औषधियों की कोई एक्सपाइरी डेट नहीं होती है। इससे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की आश्चर्यजनक वैज्ञानिकता का प्रमाण मिलता है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सर्व-समावेशी एवं उपयोगी दृष्टि के आधार पर हमने विदेश में उत्पन्न हुई चिकित्सा पद्धतियों को भी आयुष पद्धतियों में शामिल किया है। आज यूनान तथा मध्य एशिया के देशों में यूनानी चिकित्सा पद्धति का उतना उपयोग नहीं होता है, जितना भारत में होता है। जर्मनी में विकसित हुई होम्योपैथी चिकित्सा को हमारे देश ने पूरी तरह अपना लिया है। वर्ष 2014 से केंद्र सरकार ने तथा वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश सरकार ने आयुष विभागों की स्थापना करके देश-विदेश की इन सभी उपयोगी पद्धतियों को नई ऊर्जा के साथ प्रोत्साहित किया है। यह प्रोत्साहन निरन्तर आगे बढ़ रहा है। इस विश्वविद्यालय का यह लोकार्पण समारोह आयुष पद्धतियों के पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण उत्सव है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आयुष में समाहित आयुर्वेद, योग और सिद्धा पद्धतियां विश्व समुदाय को भारत की अनमोल सौगात हैं। आयुर्वेद का जनक भगवान धन्वन्तरि को माना जाता है। चरक को काय-चिकित्सा का एवं सुश्रुत को शल्य-चिकित्सा का प्रवर्तक माना जाता है। वाग्भट जैसे आयुर्वेदाचार्यों ने मानव कल्याण के लिए प्रचुर ज्ञानराशि का सृजन किया है। विद्वानों की मान्यता है कि नाथ परम्परा के योगियों ने चिकित्सा के लिए खनिजों और धातुओं पर आधारित भस्मों के प्रभावी और सर्वथा सुरक्षित प्रयोग किए थे।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि ‘हठ योग’ की प्रतिष्ठा करके महायोगी गोरखनाथ ने राष्ट्र के समग्र पुनर्जागरण का जो कार्य किया है उसका प्रभाव अद्वितीय है। योग के क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ की महानता को समझाने के लिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा था ‘गोरख जगायो जोग’ अर्थात गुरु गोरखनाथ ने योग की परम्परा को फिर से जगाया था। उन्होंने जनभाषा के माध्यम से, साधकों में ही नहीं, बल्कि जन-साधारण में भी हठ-योग का व्यापक प्रचार-प्रसार किया था।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि विगत 21 जून को विश्व के अनेक देशों में उत्साहपूर्वक ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया गया। पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने-अपने देश में योग पद्धति का प्रचार-प्रसार करने वाले विदेशी नागरिकों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। आयुष पद्धतियों पर आधारित चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ रही है। यह विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता को और अधिक बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। इन पद्धतियों की वैज्ञानिक स्वीकार्यता को बढ़ाने में भी ऐसे विश्वविद्यालयों का निर्णायक योगदान रहेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, परम्परा और आधुनिकता के संगम के नए प्रतिमान स्थापित करेगा तथा भविष्य में एक महान संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने कहा कि आज यहां राष्ट्रपति जी के कर-कमलों द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया जा रहा है। यह क्षण हम सभी के लिए अत्यन्त गौरवशाली है। मुख्यमंत्री जी ने अभी बताया कि यह आयुष विश्वविद्यालय रिसर्च और डेवलपमेण्ट के केन्द्र के रूप में विकसित होकर यहां के किसानों व युवाओं के लिए ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में रोजगार की नई सम्भावनाओं को प्रस्तुत करेगा। देश की राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा मंत्रिगण आदि सभी महानुभाव स्वस्थ तथा विकसित भारत के निर्माण की दिशा में निरन्तर अग्रसर हैं। एक समय ऐसा भी था, जब अस्पतालों के अभाव में हजारों बच्चों तथा महिलाओं का जीवन समाप्त हो जाता था। समय के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में उत्तरोत्तर प्रगति हो रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेशवासियों की ओर से भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रपति जी कल से ही गोरखपुरवासियों को अपना सान्निध्य और आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। कल उन्होंने गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रथम दीक्षान्त समारोह में प्रथम बैच के छात्र-छात्राओं को उपाधि तथा सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए थे। आज का दिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अत्यन्त गौरवशाली है, क्योंकि आज राष्ट्रपति जी के कर-कमलों द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में यह आयुष पद्धति का पहला विश्वविद्यालय है। पहले आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी तथा अन्य पद्धतियों से जुड़े हुए महाविद्यालयों की सम्बद्धता स्थानीय विश्वविद्यालयों से थी, अब इन महाविद्यालयां की सम्बद्धता इस आयुष विश्वविद्यालय से की गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज लोकार्पण के साथ ही, इस विश्वविद्यालय में इस नए सत्र में प्रवेश प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कार्य प्रदेश सरकार द्वारा किया जाएगा। यहां पर आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग व नेचुरोपैथी तथा सिद्धा पद्धति से जुड़ी आरोग्यता की विधाओं का लाभ न केवल यहां के लोगों को प्राप्त होगा, बल्कि यह विश्वविद्यालय रिसर्च और डेवलपमेण्ट केन्द्र के रूप में विकसित होकर यहां के किसानों व युवाओं के लिए ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में रोजगार की नई सम्भावनाओं को प्रस्तुत करेगा। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप यह आयुष विश्वविद्यालय हेल्थ टूरिज्म के नए डेस्टिनेशन के रूप में दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा। आज के कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय किसानों को ट्रेडिशनल मेडिसिन प्लाण्ट द्वारा रोजगार की अनन्त सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 06 मण्डलों में आयुष पद्धति का कोई महाविद्यालय नहीं है। सरकार इन मण्डलों में आयुष पद्धति का एक-एक कॉलेज स्थापित करेगी, जिससे वर्तमान पीढ़ी को ट्रेडिशनल मेडिसिन की विधा से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। आरोग्यता के लिए प्रदेश के प्रत्येक जनपद में न्यूनतम 100 बेड से युक्त एक हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर की स्थापना की जाएगी। इनके माध्यम से प्रत्येक जनपद में आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पंचकर्म, क्षारसूत्र सहित आयुष की अन्य पद्धतियों से सम्बन्धित एक-एक केन्द्र प्रदेश सरकार द्वारा अथवा पी0पी0पी0 मोड पर स्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही, देश की आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग, नेचुरोपैथी, सिद्धा आदि विधाओं तथा दुनिया की आरोग्यता की कुछ अन्य महत्वपूर्ण विधाओं का समन्वय कर आयुष मंत्रालय के रूप में मंच प्रदान किया। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आज आयुष मंत्रालय परम्परागत आरोग्यता की पद्धति का अनुसरण करते हुए सम्पूर्ण आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर महायोगी भगवान गोरखनाथ की पावन धरा है। आयुर्वेद में रस शास्त्र और धातु विज्ञान का आविष्कार नौ नाथ व चौरासी सिद्धों की परम्परा से जुड़ता है। इस परम्परा को व्यवस्थित स्वरूप देकर नेतृत्व प्रदान करने का कार्य भगवान गोरखनाथ ने भगवान शिव के योगी अवतार के रूप किया था।
आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का स्वस्थ और निरोग भारत व उत्तर प्रदेश का सपना दुनिया के सामने एक नजीर प्रस्तुत करता है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश में आयुष की विभिन्न पद्धतियों को निरन्तर प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका लाभ आम जनमानस को प्राप्त हो रहा है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2014 में आयुष मंत्रालय का गठन किया। ‘आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः’। योग का शाब्दिक अर्थ जीवन और वेद का शाब्दिक अर्थ विज्ञान होता है। आयुष जीवन को निरोग और स्वस्थ रखने की पद्धति है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्रदेव सिंह, मत्स्य मंत्री श्री संजय निषाद, सांसद श्री रवि किशन शुक्ल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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