लखनऊ : 07 अप्रैल, 2025 : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश में राजनीतिक स्थिरता और विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में आगे बढ़ने के लिए लोगों को नयी राह दिखायी है। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के भाव को अब मूर्तरूप देने का समय आ गया है। वर्ष 2034 में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न हों, इसके लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ अभियान के अन्तर्गत आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता द्वारा अपनी पसंद का जनप्रतिनिधि चुनना, उसका लोकतांत्रिक अधिकार माना जाता है। यह अधिकार लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक है। यह अधिकार लोकतंत्र की शोभा है। लेकिन जब चुनाव हर वर्ष या हर 06 माह में होने लग जाएंगे, तो उसके प्रति आकर्षण गायब हो जाता है। यदि व्यक्ति अस्वस्थ है, या उसकी कार्यक्षमता कमजोर हुई है, तो डोज देकर मजबूत किया जा सकता है। यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति यह सोचे कि वह और स्वस्थ हो, तो वह स्वयं अपने साथ खिलवाड़ कर रहा है। लोकतंत्र में भी बार-बार चुनाव होना, जनता पर अनावश्यक बोझ डालता है। राजनीतिक अस्थिरता को जन्म देता है। देश में विकास की संभावनाओं को बाधित करता है। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। राजनीतिक अस्थिरता कभी भी देश की सम्प्रभुता, सम्पन्नता व विकसित देश की परिकल्पना को साकार करने में सहायक नहीं होती है। बार-बार चुनाव देश की जी0डी0पी0 को प्रभावित करते हैं। कोई पक्ष इससे लाभान्वित नहीं होता है। सिवाय राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने वाले, लोकतंत्र के विरोधियों व अराजक तत्वों के, जिन्हें यह एक अवसर देता है।
राजनीतिक स्थिरता से सरकार विकास के नए रोडमैप को और विकास को तेजी के साथ आगे बढ़ा सकती है। वह सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम कर सकती है। नीतियां बनाकर समग्र विकास की रूपरेखा को आगे बढ़ा सकती है। समाज के प्रत्येक क्षेत्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। लेकिन जब राजनीतिक अस्थिरता होगी, तो नीतिगत फैसलों को लेने के लिए आवश्यक समर्थन का अभाव होगा। रोडमैप बनाने में लोगों के व्यक्तिगत स्वार्थ आड़े आते रहेंगे। सुरक्षा के लिए कार्य करने के लिए जो ठोस और सुदृढ़ व्यवस्था होनी चाहिए, उसके लिए कदम उठाने में बाधा आती है। जैसे प्रदेश में वर्ष 2017 के पहले होता था। वर्ष 2017 के पूर्व उत्तर प्रदेश को आपने देखा होगा, जिसमें सरकार के समानान्तर हर जनपद में एक नयी सरकार संचालित होती थी। वह प्रदेश और देश का कानून नहीं मानते थे। देश की किसी भी संवैधानिक संस्था के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करना, उनके लिए चुटकी का खेल था। संसाधनों पर लूट-खसोट करना, उनका विशेषाधिकार हो गया था।
राजनीतिक स्थिरता विकास को आगे बढ़ाती है। उत्तर प्रदेश इसके एक उदाहरण के रूप में आपके सामने है। उत्तर प्रदेश में यदि स्थिर सरकार नहीं होती, तो उत्तर प्रदेश को हम आज देश की एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित नहीं कर पाते। वर्ष 1947 से लेकर 2017 तक के 70 वर्षों में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे रही है। जब देश आजाद हुआ था, उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के बराबर थी। उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता था। लेकिन वर्ष 2017 तक आते-आते उत्तर प्रदेश, देश की सातवीं अर्थव्यवस्था रह गया था। अस्थिरता का आलम यह था कि उत्तर प्रदेश में कब कौन सरकार आ जाए, पलट जाए, कोई भरोसा नहीं था। हर जनपद में एक बड़ा माफिया पैदा करके उसको वहां पर लूट-खसोट करने, अराजकता पैदा करने, गुण्डाराज फैलाने की पूरी स्वतंत्रता दे दी गई थी। यह राजनीतिक अस्थिरता बार-बार चुनावों का दुष्परिणाम थी।
हर क्षेत्र में विकास बाधित किया गया था और उत्तर प्रदेशवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा किया गया था। जो उत्तर प्रदेश के साथ हुआ था, वही देश के साथ हुआ था। वर्ष 2014 के पूर्व दुनिया में पहचान का संकट भारत झेल रहा था। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देश में वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को विकसित करने का सराहनीय प्रयास किया। राजनीतिक अस्थिरता का दौर चलता है, तो इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ता है। लेकिन आज ऐसा नहीं है। दुनिया के सामने भारत अपनी पहचान बना रहा है और देश के सामने उत्तर प्रदेश ने अपनी पहचान बनाई है।
वर्ष 1947 से वर्ष 2014 तक भारत देश की 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया था। मात्र 10 वर्षों में भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगले कुछ वर्षों में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। उत्तर प्रदेश जो देश की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था था, आज देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथ ही, देश की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने के लिए उत्तर प्रदेश सबसे तेज विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता नहीं होती, तो उत्तर प्रदेश दंगा मुक्त भी नहीं होता, माफिया मुक्त भी नहीं होता। यह तब सम्भव हुआ है, जब हम लोग स्थिरता के दौर से गुजरे हैं। इस राजनीति स्थिरता में भी हमें समय-समय पर इलेक्शन का सामना करना पड़ा है। हर वर्ष कोई ना कोई नया इलेक्शन आता है। कभी विधानसभा, कभी लोकसभा, कभी नगर निकाय, कभी ग्राम पंचायत, कभी एम0एल0सी0 का, कभी कोई अन्य। बाई-इलेक्शन का भी सामना करना पड़ता है। भारत निर्वाचन आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस दौरान आचार संहिता लागू की जाती है। इस दौरान नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते, अन्य विकास कार्य नहीं हो सकते, विकास कार्य ठप पड़े रहते हैं। प्रशासनिक तंत्र पर सरकार का नियंत्रण उस समय न के बराबर रहता है।
जो राज्य या देश हर एक वर्ष में इलेक्शन का सामना करता होगा, वहां 01 वर्ष में 03 महीने इलेक्शन में खर्च हो जाते हैं। 02 महीने पर्व-त्योहारों में, बाकी कभी सर्दी, कभी गर्मी। कभी आपदा के कारण कार्य बाधित हो रहे हैं, तो साल में सरकार के पास कार्य करने के लिए 06 महीने भी नहीं बचते हैं। उन 06 महीने में कोई सरकार रिजल्ट कैसे दे पाएगी। इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2019 में केवड़िया, गुजरात में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई जी की भव्य प्रतिमा देश को समर्पित करते समय देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को आगे बढ़ाने की आवश्यकता की बात कही थी। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी कहा था कि राजनीतिक स्थिरता सुशासन, सुरक्षा व विकास की पहली शर्त है। उस राजनीतिक स्थिरता के लिए ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत का पहला आम चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था, जिसमें लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। इसके बाद भी वर्ष 1957 से वर्ष 1962, वर्ष 1962 से वर्ष 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते रहे हैं। लेकिन वर्ष 1967 के बाद जब काँग्रेस में टूटन शुरू हुई और कांग्रेस स्वयं अपने आन्तरिक मतभेदों के कारण अस्थिरता के दौर से गुजरती हुई दिखाई दी, तो उसने इसका शिकार देश को बनाया। फिर देश में अलग-अलग राज्यों में सरकारों को भंग करना, कहीं इलेक्शन करना, कहीं राष्ट्रपति शासन लागू करना जैसे कार्यों को अंजाम दिया गया। परिणामस्वरूप देश को राजनीति अस्थिरता का सामना करना पड़ा।
वर्ष 1980 के दशक में भी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुद्दा उठा था। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी उस बात को आगे बढ़ाया था। आज श्रद्धेय अटल जी के ही उन भावों को मूर्तरूप देने के लिए प्रधानमंत्री जी ने पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया और उस समिति ने अपनी सिफारिशें देश को दी हैं। व्यापक जनजागरण के माध्यम से लोगों को राजनीतिक स्थिरता के लिए जागरूक करना होगा, क्योंकि चुनाव जनता-जनार्दन को करना है। लोकतंत्र आकर्षण का केन्द्र बना रहे, लोकतंत्र के प्रति लोगों की मन में श्रद्धा का भाव बना रहे। देश में स्थिर सरकार आए। 05 वर्ष का उसका कार्यकाल हो। काम करने का एक बड़ा अवसर उसे प्राप्त हो और इस दौरान राजनीतिक अस्थिरता और खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह लगाम लगायी जा सके। इस दृष्टि से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ एक बेहतर विकल्प साबित होगा। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर विस्तृत चर्चा करने के लिए देश में इस प्रकार की संगोष्ठियां आयोजित होना एक सराहनीय प्रयास है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश में वर्तमान में अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए हैं। आन्ध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उड़ीसा और सिक्किम इसके उदाहरण हैं। अन्य राज्यों के लिए भी इस प्रकार की व्यवस्था बनानी होगी। लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न हां, इसके लिए संसद व विधान मण्डलों में व्यापक चर्चा हो तथा इस सम्बन्ध में जनता-जनार्दन के अमूल्य सुझावों पर भी गौर किया जाए। आज जब देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रति वातावरण बन रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक साथ पूरे देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ मूर्तरूप ले सके, उसके लिए एक व्यापक जनमत तैयार करने तथा लोगों को जागरूक करने के लिए हम सब आज यहां एकत्र हुए हैं। लोगों को इसका हिस्सा बनाना होगा। अभी से लोगों को बताना होगा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के माध्यम से कितना पैसा बचाया जा सकता है। जब लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव अलग होते हैं, तो उसका असर देश की जी0डी0पी0 पर पड़ता है। इससे 1.5 प्रतिशत अर्थात साढे़ तीन लाख करोड़ रुपये से लेकर साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इतना पैसा बहुत सारे राज्यों का वार्षिक बजट भी नहीं होता है। अगर यह पैसा अर्थव्यवस्था का हिस्सा बना रहे, विकास के कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़ें, तो अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ेगी। इस धनराशि का उपयोग विकास कार्यों में होगा और राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी समाप्त होगा।
इन सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार के फोरम के माध्यम से जनजागरण के बड़े कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर वह लोग प्रखरता के साथ सामने आएं, जिनके लिए राष्ट्र प्रथम है, वह इस मुद्दे का समर्थन करेंगे। क्योंकि कोई नहीं चाहता है कि बार-बार इलेक्शन से देश का विकास बाधित हो। अस्थिरता का दौर फिर से वापस आए। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में लोगों के मन में एक नया विश्वास पैदा हुआ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के बारे में भी कुछ लोग दुष्प्रचार करेंगे। हर भारतवासी जो लोकतंत्र का समर्थक है, विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने का समर्थक है, उन्हें यही जवाब देना चाहिए कि भाई यह देश हमारा है, राजनीतिक स्थिरता हमारे लिए है। विकास हमारे लिए है। हमारी आने वाली पीढ़ी के हित में प्रधानमंत्री जी विकसित भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इस पर व्यापक चर्चा को बढ़ाने की आवश्यकता है। इन मुद्दों को लेकर के आप आगे बढ़ेंगे, तो निश्चित ही वर्ष 2034 में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ साकार होगा।
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