झूठी दहेज हत्या की रिपोर्ट लिखाने वाले को 800 दिन की जेलः बरेली में दहेज हत्या का झूठा मुकदमा कराया था, जज बोले-किसी की जिंदगी बर्बाद मत कीजिए
झूठे दहेज हत्या के मुकदमे पर गंभीर चिंता जताते हुए कोर्ट ने महिला के पिता को ही सजा सुना दी। पिता को 800 दिन की जेल और 2 लाख 54 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड और बदलते सामाजिक परिवेश का उदाहरण दिया। कहा कि वैवाहिक विवादों में झूठे आरोपों से निर्दोष लोगों का जीवन बर्बाद हो रहा है।
जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा- विवाह के बाद लड़कियां पति पर परिवार से अलग रहने का दबाव डालती हैं। जब इच्छाएं पूरी नहीं होतीं, तो झूठे मुकदमों का सहारा लिया जाता है।
इस तरह के झूठे मुकदमे न केवल निर्दोषों को सजा दिलाते हैं, न्याय व्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव डालते हैं। जज ने हरिवंशराय बच्चन की कविता और रामचरित मानस का जिक्र किया।
कोर्ट ने हरिवंशराय बच्चन की कविता 'पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले' का उल्लेख किया
'स्वप्न आना स्वर्ग का, दृग-कोरकों में दीप्ति आती, पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती। आंख में हो स्वर्ग लेकिन, पांव पृथ्वी पर टिके हो, कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले।'
जीवन में कल्पनाएं और महत्वाकांक्षाएं होना अच्छी बात है, लेकिन उन्हें वास्तविकता के धरातल पर समझना भी जरूरी है।
- कोर्ट
कोर्ट में अभियोजन पक्ष के वकील ने रामचरितमानस के दोहे का दिया संदर्भ
' सचिव, वैद्य, गुरु जो प्रिय बोलहिं भय ऐश, "राज, धर्म, तन तीनि कर होइ नास।'
इसका अर्थ है कि अगर मंत्री, डॉक्टर और गुरु केवल भय या लालच में आकर मीठी बातें करते हैं, तो राज्य, धर्म और शरीर तीनों का नाश हो जाता है। एडीजीसी सुनील पांडे ने कहा- झूठे मुकदमे न केवल निर्दोषों को सजा दिलाते हैं, समाज में न्याय व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं।
अब पढ़िए क्या है पूरा मामला
बरेली के विशारतगंज थाना क्षेत्र की रहने वाली शालू की शादी 2019 में सोनू से हुई थी। 20 जुलाई, 2023 को शालू ने अपनी ससुराल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद उसके पिता बाबूराम ने ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने नवाबगंज थाने में पति सोनू, ससुर पोशाकी लाल, देवर भारत, सुमित, ननद अंजलि और ददिया सास के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
बेटी गुस्सैल स्वभाव की थी, उसने आत्महत्या की इस केस में पुलिस ने पति सोनू और ससुर पोशाकी लाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामला कोर्ट पहुंचा, लेकिन सुनवाई के दौरान लड़की के पिता बाबूराम आरोपों से मुकर गए। बाबूराम ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उसकी बेटी गुस्सैल स्वभाव की थी। ससुराल में भी झगड़ा करती थी।
उसने कहा- मेरी बेटी खुद ही अपने पति को लेकर ससुराल वालों से अलग हो गई थी। वह मुझसे और मेरी पत्नी से भी झगड़ा करती थी। कहती थी कि हमने उसकी शादी गरीब परिवार में कर दी है। गुस्से में वह मारपीट भी करती थी।
पिता ने यह भी कबूल किया कि उसने पहले झूठे बयान दिए थे। यह नहीं समझा था कि कोर्ट में झूठ बोलना अपराध है। इसके बाद कोर्ट ने झूठा केस करने के लिए लड़की के पिता को ही सजा सुनाई।
लड़की के पिता को 800 दिन जेल की सजा सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने बताया- झूठे आरोपों के कारण पति सोनू, ससुर पोशाकी लाल और दादिया सास को 17 महीने तक जेल में रहना पड़ा। अदालत ने इस आधार पर फैसला सुनाया कि लड़की के पिता बाबूराम को उतने ही दिन जेल में रहना पड़ेगा, जितने दिन निर्दोष लोग जेल में थे।
अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने मृतका के पिता बाबूराम को 800 दिन की सजा और 2 लाख 54 हजार 352 रुपए जुर्माना लगाया है।
- सुनील पांडे, एडीजीसी
झूठे आरोप और मुकदमों का चलन बढ़ा कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा- झूठे दहेज उत्पीड़न के मुकदमे अब आम होते जा रहे हैं। कई मामलों में पत्नी या उसके परिवार वाले ससुराल पक्ष पर झूठे आरोप लगाकर आर्थिक लाभ उठाने की कोशिश करते हैं।
न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा- पति पक्ष दहेज का सामान लौटाने को तैयार होता है। लेकिन जब अतिरिक्त धनराशि की मांग होती है और वह उसे देने से इनकार करता है। फिर दहेज का झूठा केस दर्ज कर दिया जाता है। बाद में जब समझौता होता है, तो लड़की के माता-पिता अदालत में गवाही बदल देते हैं।
ऐसे मामलों में ससुराल पक्ष की महिलाएं भी झूठे मुकदमों में फंस जाती हैं। इस केस में भी ननद, देवरानी और ददिया सास जैसी वृद्ध महिलाओं को भी जेल जाना पड़ा।
समाज में वैवाहिक संबंधों का बदलता स्वरूप अदालत ने अपने फैसले में समाज में बदल रहे पारिवारिक संबंधों पर भी चिंता जताई। न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा- पहले लड़कियां संयुक्त परिवार में घुल-मिलकर रहती थीं। लेकिन अब अधिकांश नवविवाहिता पति को परिवार से अलग करने का दबाव डालने लगी हैं।
यदि पति अपने माता-पिता से संबंध बनाए रखता है, तो पत्नी को यह पसंद नहीं आता और इससे वैवाहिक विवाद बढ़ जाते हैं। परिणामस्वरूप, झूठे मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं, जिनमें पूरे परिवार को प्रताड़ित किया जाता है।
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