गावों के लिए पर्यटन स्थल सरीखे होंगे अमृत सरोवर

किनारों पर लकदक हरियाली के लिए होगा सघन पौधरोपण


लखनऊ, 17 सितम्बर।

हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब। इनके किनारों पर लकदक

हरियाली। बैठकर सकुन के कुछ घन्टे गुजरने के लिए जगह-जगह लगी बेंचे।

भविष्य में कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृतमहोत्सव पर बन रहे

अमृतसरोवरों का।

हर अमृत सरोवर खूबसूरत हो। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

की सरकार एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा भी शुरू करने जा रही है। इसके तहत जो

अमृत सरोवर सबसे अच्छे होंगे उनके निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों,अधिकारियों

और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा।

हरियाली बढ़ाने के लिए 21 सितंबर को होगा सघन पौधरोपण

अमृत सरोवरों के किनारे लकदक हरियाली हो इसके लिए 21 सितंबर को

पौधरोपण का सघन अभियान भी चलेगा। इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा

80 हजार होमगार्ड के जवान पौधरोपण में भाग लेंगे। इस बाबत गढ्ढे मनरेगा से

खोदे जाएंगे और निःशुल्क पौधे वन विभाग उपलब्ध कराएगा।

"सबकी मदद से सबके लिए" की मिसाल बनेगें ये अमृतसरोवर

कालांतर में ये अमृत सरोवर,"सबकी मदद से सबके लिए" और पानी की

हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर भी

बनेंगे।

बूंद-बूंद संरक्षित करने के साथ परंपरा को सहेजने की भी बनेंगे नजीर

उल्लेखनीय है कि पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशालाएं और मंदिर

जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का

होता था,पर इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण

भूमिका होती थी।

यही वजह है कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या

अमृत सरोवरों के निर्माण की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको जनता से

जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करते रहे हैं। अमृत सरोवरों की रिकॉर्ड संख्या

के निर्माण के पीछे यही वजह है। इसीके बूते पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर


के निर्माण का लक्ष्य था। बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत

सरोवरों का निर्णय लिया गया है। इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख

16 हजार के करीब हो जाएगी। भविष्य में ये सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में

होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को

बढ़ाएंगे। बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की

समस्या का भी हल निकलेगा। यही नहीं सूखे के समय में यह पानी सिंचाई एवं

मवेशियों के पीने के काम आएगा। भूगर्भ जल की तुलना में सरफेस वाटर से

पंपिंग सेट से सिंचाई कम समय होती है। इससे किसानों का डीजल बचेगा। कम

डीजल जलने से पर्यावरण संबंधी होने वाला लाभ बोनस होगा।

दरअसल बारिश के हर बूंद को सहेजने के इस प्रयास का सिलसिला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके पहले कार्यकाल से ही शुरू हो

गया था। गंगा एवं अन्य बड़ी नदियों के किनारे बन रहे बड़े एवं बहुउद्देश्यीय

तालाब और खेत-तालाब जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं।

इसी मकसद से सरकार अब तक 24583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है।

इनमें से अधिकांश (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल

ब्लाकों में हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 हजार और खेत-तालाब तैयार करने की

है।

पांच साल का लक्ष्य 37500 खेत तालाब निर्माण की है। इनका निर्माण

कराने वाले किसानों को सरकार 50 फीसद का अनुदान देती है। इस समयावधि

में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है।

भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए

सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही

है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का

भी यही उद्देश्य है। फिलहाल उत्तर प्रदेश इनके निर्माण में नंबर एक है। ग्राम्य

विकास विभाग से मिले अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर

के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है। 10656 के निर्माण का

काम चल रहा है। 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किये जा चुके

हैं।

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