अम्बेडकरनगर 113  नोडल संकुल शिक्षकों को टीएलएम विधि से डायट पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण

टीचिंग लर्निंग मटेरियल या टीएलएम वह सामाग्री हैं जो बच्चों की किसी विषय वस्तु की अवधारणा को स्पष्ट करने मे मदद की करती हैं- मनोज गिरि

      गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अम्बेडकरनगर।  जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, आलापुर, अंबेडकरनगर में पूर्व प्राथमिक शिक्षा को अधिक सुदृढ़ और सफल बनाने हेतु टी.एल.एम. निर्माण कार्यशाला का आयोजन डायट प्राचार्य मनोज कुमार गिरि के मार्गदर्शन में शुरू किया गया।
डायट प्राचार्य ने बताया कि बच्चों को व्याख्यान विधि के अपेक्षा टी.एल.एम. के माध्यम से पढ़ाना ज्यादा कारगर सिद्ध होता है। उनके मस्तिष्क पर उसकी छाप अमिट होती है और वे कम समय में ज्यादा सीखते है। शिक्षण की इस तकनीकी के माध्यम से बच्चों तक ज्ञान को आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इसकी सार्थकता पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि सहायक सामग्री विषय को स्थायी रूप से सीखने व समझने में सहायक होती है। जहाँ शिक्षक का मौखिक वक्तव्य कम प्रभाव उत्पन्न करता है वही दृश्य सामग्री पाठ को रोचकता प्रदान कर उसे बोधगम्य बनाती है। यह अनुभवों के द्वारा ज्ञान प्रदान करती है।
प्रशिक्षण प्रभारी वीना चौधरी ने बताया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा, लखनऊ के आदेश के क्रम में 6 सितंबर 2022 से शुरू हुए इस तीन दिवसीय कार्यशाला में जनपद के समस्त 113 नोडल संकुल शिक्षकों को टीएलएम पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे टीएलएम निर्माण में दक्ष हो सकेंगे और अपने न्याय पंचायत क्षेत्र के समस्त शिक्षकों को भी टी.एल.एम. निर्माण के लिए जागरूक कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि टीचिंग लर्निंग मटेरियल या टी.एल.एम. वह सामग्री है जो बच्चों की किसी विषयवस्तु की अवधारणा को स्पष्ट करने में मदद करती है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली छात्र केन्द्रित है जिसमें बच्चों की रुचि, उनके बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करना है। बच्चे नए नए चीज़ों के प्रति अधिक आकर्षित होते है, उन्हें यदि टीएलएम के माध्यम से शिक्षण दिया जाए तो वो ज्यादा प्रभावी होता है। 
प्रशिक्षण सह-प्रभारी प्रमोद कुमार सेठ ने इस कार्यशाला में कहा कि शिक्षकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ज़्यादा से ज़्यादा रचनात्मक होकर टी.एल.एम. बनाएँ और उन्हें साझा करें।टी.एल.एम. अपनी सृजनात्मकता दर्शाने का सुनहरा अवसर होता है, यह शिक्षकों की रचनात्मकता व परिश्रम के प्रतीक होते हैं।
इस कार्यशाला में जनपद स्तरीय संदर्भदाता के रूप में टी.एल.एम. निर्माण का प्रशिक्षण दे रहे सहायक अध्यापक मयंक कुमार गुप्ता और संगीता कनौजिया ने बताया कि किसी भी टी.एल.एम. को बनाने, चुनने या खरीदने से पहले विद्यार्थी के सामाजिक व आर्थिक परिवेश और उसकी विकासात्मक अवस्था को ध्यान में रखना चाहिए।
इस अवसर पर सहायक संदर्भदाता के रूप रजित राम वर्मा ने भी संकुल शिक्षकों को नए-नए और रुचिकर टी.एल.एम. से अवगत कराया। एस.आर.जी. श्वेता सिंह ने कार्यशाला में अनुश्रवणकर्ता के रूप में उपस्थित रही। प्रशिक्षण में डायट के समस्त प्रवक्ता डॉ. कृष्ण, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. मोहम्मद अफजल, नित्येश प्रसाद तिवारी, अखिलेश वर्मा, श्याम बिहारी बिंद, शशिकांत, अब्दुल फैजान, दिनेश मौर्य, वीरेंद्र वर्मा, शुचि राय, राकेश वर्मा व  जनपद के समस्त संकुल शिक्षक उपस्थित रहे।

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