पानी की बूंद जीवन जीना सिखाती !
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पानी की बूंद जीवन जीना सिखाती,
जल नहीं तो कल नहीं, मूलमंत्र है,
जल बिना मछली का जीवन नहीं,
हर जगह सूखे पड़े नदी तालाब हैं, 
वो जल के बिना सूखे हैं वीरान है,
कब होगा बारिश का इंतजार खत्म,
चाहे वो पशु-पक्षी हो या इंसान हैं, 
सभी चाहते हैं जल्दी बारिश हो,
जब बारिश होती हैं, मोरमोरनी
खुशी में हर्षाते हैं, खुशी से वो नाचते
थिरक-थिरक कर झूमते, गातें हैं, 
नदी तालाब भी कल-कल करते बहते हैं, 
फसलें भी लहराती हैं, जब बारिश होती हैं,
और खूब झमाझम झूम के आती हैं,
बारिश का मौसम आओ रे, पानी लाओ रे,
बादलो अब बरस जाओ रे, ना तरसाओ रे
जल हैं तो जीवन हैं, जीवन हैं तो कल हैं, 
जितना बचा सको  जल बचाओ,
जितना आवश्यक हो, उतना ही
जल उपयोग करो !

(स्वरचित-मौलिक कविता)

-नेहा ठाकुर " नेह "
इंदौर, मध्यप्रदेश




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