*कृष्ण सुदामा जैसी मित्रता वर्तमान में है दुर्लभ-कौशलेन्द्र शास्त्री*


हिन्दुपुर प्रतापगढ़ में श्री मद् भगवद फाउंडेशन द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण एवं रूद्र चंडी महायज्ञ के नवे दिन कथा वाचक कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने सुदामा चरित्र प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि संसार में मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। सुदामा के आने की खबर मिलने पर श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए, अर्थात श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया, परन्तु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुख हुआ है कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं, और काम निकल जाने पर वे एक दुसरे को भूल जाते है। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। इसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गये। इस दौरान यज्ञ आचार्य अतुल शास्त्री सूरज शास्त्री संत प्रसाद पांडेय आदर्श पांडेय बीपी सर प्रिंसिपल विनय सिंह रूबल सोनू सिंह संदीप रवि देवा दिग्गी डॉलर आशीष निखिल आदि मौजूद रहे।

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