महराजगंज के निजी अस्पतालों में हो रही मौतों पर बोले एडवोकेट विनीत मणि त्रिपाठी, CMO को सौंपा ज्ञापन — की कड़ी कार्रवाई की मांग
महराजगंज।
जनपद महराजगंज में निजी अस्पतालों की लापरवाही से हो रही लगातार मौतों को लेकर अब जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती स्थिति को लेकर समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने पहले ही आवाज उठाई थी, और अब इस मामले में एडवोकेट विनीत मणि त्रिपाठी ने प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है।
एडवोकेट त्रिपाठी ने बुधवार को मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) महराजगंज को एक लिखित आवेदन (अप्लीकेशन) सौंपते हुए जिले के सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की जांच कराए जाने की मांग की। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि जिले में दर्जनों प्राइवेट हॉस्पिटल बिना पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था, बिना प्रशिक्षित डॉक्टरों और बिना आवश्यक लाइसेंस के चल रहे हैं, जिससे आम जनता की जान खतरे में पड़ी हुई है।
उन्होंने अपने ज्ञापन में कहा कि—
“महराजगंज जनपद में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और निजी अस्पतालों की मनमानी के कारण आए दिन मरीजों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं। कई अस्पतालों में बिना योग्य चिकित्सक के ऑपरेशन किए जा रहे हैं, और गंभीर मरीजों को सही उपचार न मिल पाने से उनकी जान जा रही है। यह न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकारों का भी हनन है।”
एडवोकेट विनीत मणि त्रिपाठी ने आगे कहा कि अगर प्रशासन द्वारा जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे इस मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश शासन, स्वास्थ्य विभाग, और आवश्यक हुआ तो हाईकोर्ट तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह इस पूरे प्रकरण को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में भी शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में हैं, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके।
उन्होंने यह भी बताया कि जनपद के कई अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के बाद बगैर जांच और योग्य सलाह के सर्जरी कर दी जाती है। कई बार तो ऑपरेशन थिएटरों में स्वच्छता के मानक तक पूरे नहीं किए जाते। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही से निर्दोष लोगों की जान चली जाती है और परिवार बर्बाद हो जाते हैं।
CMO महराजगंज को दिए गए आवेदन में मांग की गई है कि —
जिले के सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की टीम बनाकर निरीक्षण (Inspection) किया जाए।
जो हॉस्पिटल बिना पंजीकरण, बिना MBBS डॉक्टर, या बिना मानक उपकरणों के पाए जाएं, उनके खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
मरीजों की मौत के मामलों में संबंधित चिकित्सकों की जिम्मेदारी तय कर उनके खिलाफ लाइसेंस निलंबन या निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
जिला प्रशासन एक हेल्पलाइन नंबर जारी करे, जहाँ आम लोग अस्पतालों की मनमानी की शिकायत दर्ज करा सकें।
एडवोकेट त्रिपाठी ने कहा कि —
“यह मामला केवल एक परिवार या एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि पूरे जिले के आम नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। अगर अस्पताल पैसे कमाने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ करेंगे, तो यह समाज और कानून दोनों के लिए घातक है।”
इस बीच कई स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी एडवोकेट विनीत मणि त्रिपाठी के इस कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और दोषी अस्पतालों के खिलाफ उदाहरणात्मक कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई अस्पताल इस तरह की लापरवाही न करे।
पीड़ित परिवारों ने भी प्रशासन से गुहार लगाई है कि जिनकी मौत अस्पतालों की गलती से हुई है, उन्हें न्याय दिलाया जाए और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
रिपब्लिक टाइम्स नाउ न्यूज़ की टीम ने जब इस विषय पर संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि —
“CMO कार्यालय को ज्ञापन प्राप्त हुआ है। मामले की जांच के लिए टीम गठित की जाएगी और यदि किसी भी अस्पताल की लापरवाही साबित होती है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
इस पूरी घटना ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। अब देखना यह होगा कि एडवोकेट विनीत मणि त्रिपाठी की इस मुहिम के बाद जिला प्रशासन वास्तव में कड़ी कार्रवाई करता है या फिर मामला हमेशा की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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