मा उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं लखनऊ पीठ के अधिवक्ता डॉ मुरलीधर सिंह का

संविधान के अनुच्छेद 143 पर कानूनी संभावनाओं के दृष्टि से विश्लेषण
  लखनऊ एवं इलाहाबाद 16 मई 2025
महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत कानूनी परामर्श के लिए नए मुख्य न्यायमूर्ति  माननीय श्री भूषण रामकृष्ण गवई जी के समक्ष  सलाह के लिए। एडवाइस के लिए प्रेषित किया गया है उल्लेखनीय है की वर्तमान मुख्य न्यायमूर्ति का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक है उसके बाद जो नए मुख्य न्यायमूर्ति होंगे श्री सूर्यकांत जी उनका कार्यकाल नवंबर 2025 से फरवरी 2o२7 तक का होगा ऐसे मामलों में मामले बहुत कम आते हैं पर वर्तमान में भाजपा शासित सरकार में तमिलनाडु के राज्यपाल के कारण उत्पन्न हुआ है
 न्यायमूर्ति इसको मात्र सलाह देकर प्रेषित कर सकते हैं लेकिन महामहिम राष्ट्रपति जी के पत्र में संवैधानिक सलाह की अपेक्षा की गई है
 ऐसे में  मामला नियमानुसार संविधान पीठ को  जाएगा जो भारत के लिए एक और नजीर होगा इससे विधायक का कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के लिए मार्गदर्शक बिंदु होगा भारतीय संविधान में महामहिम राष्ट्रपति संसद के दोनों सदन को सरकार का माना गया है इस तरह संविधान के अनुच्छेद 168 के तहत विधानमंडल का गठन होता है जहां पर विधानसभा और विधान परिषद भी होती है उसमें राज्यपाल को भी मिलकर सरकार का अंग माना गया ऐसे में विरोधी बात होने पर संविधान के मूल संरचना के अनुसार इसकी बेसिक व्याख्या होगी जो आगे की पीढ़ी के लिए और सभी के लिए लाभदायक होगी मुझे आशा है कि मुख्य न्यायमूर्ति महोदय एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत महोदय की यह व्यापक पीठ बनेगी जिसमें इस महीने के अंत जुलाई माह में निर्णय आने की संभावना होगी मेरा न्यायाधीशों की तरह अधिवक्ता का भी संविधान के सिपाही के रूप में काम कर रहे हैं जो इस देश के लोकतंत्र के लिए बहुत ही लाभदायक एवं अच्छा है  जय हिंद जय भारत

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