मुख्यमंत्री ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का उ0प्र0 में शुभारम्भ किया
अभियान के लिए प्रधानमंत्री तथा केन्द्रीय कृषि एवं
किसान कल्याण मंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया
‘पी0एम0 कुसुम’ योजना के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ एक अभिनव पहल, यह विकसित भारत की प्रधानमंत्री जी की परिकल्पना को साकार करने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा : मुख्यमंत्री
देश के कृषि वैज्ञानिक अन्नदाता किसानों के साथ कृषि की चुनौतियों
का मुकाबला करने के लिए रणनीति के साथ कार्य करेंगे
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विगत 11 वर्षों में देश
में खेती और किसानी के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हुए
विगत 08 वर्षों में उ0प्र0 में खेती-किसानी के विकास तथा अन्नदाता
किसानों के जीवन में परिवर्तन करने के एक बड़े अभियान को प्रारम्भ किया गया
प्रदेश में सिंचाई सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई, लगभग 15 लाख किसानों
के निजी ट्यूबवेल के विद्युत कनेक्शन को निःशुल्क किया गया
प्रदेश का पांचवा कृषि विश्वविद्यालय महात्मा बुद्ध
के नाम पर कुशीनगर जनपद में स्थापित होने जा रहा
विगत 08 वर्षों में 02 लाख 85 हजार करोड़ रु0 गन्ना मूल्य का भुगतान
किसानों को उनकी औद्यानिक उपजों का अच्छा दाम दिलाने के लिए
पैक हाउसों के माध्यम से एक्सपोर्ट की सुविधा और सब्सिडी दी जा रही
देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 10 से 11 प्रतिशत उ0प्र0 में, इसी भूमि
से प्रदेश देश के कुल खाद्यान्न का 22 से 23 प्रतिशत उत्पादित करता
प्रदेश में 4,000 करोड़ रु0 के ‘यू0पी0 एग्रीस’ प्रोजेक्ट को प्रारम्भ किया गया
विगत 08 वर्षों में प्रदेश में मिलेट्स एवं दलहनी व तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ा
लखनऊ : 29 मई, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विगत 11 वर्षों में देश में खेती और किसानी के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। अन्नदाता किसानों को स्वॉयल हेल्थ कार्ड, किसान सम्मान निधि तथा एम0एस0पी0 का लाभ दिया जा रहा है। पहली बार किसानों को तकनीकी के साथ जोड़ा गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र अन्नदाता किसानों को अच्छी किस्म के बीज और तकनीक देने के लिए एक सेतु के रूप में कार्य कर रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक अपने कैम्पस से बाहर निकलकर किसानों के खेतों तक जाकर उन्हें नवीन जानकारी दे रहे हैं। विकसित कृषि संकल्प अभियान इसी श्रृंखला का एक हिस्सा है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का उत्तर प्रदेश में शुभारम्भ करने के उपरान्त इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने इस अभियान को प्रारम्भ किये जाने के लिए प्रधानमंत्री जी तथा केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने ‘पी0एम0 कुसुम’ योजना के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया। कार्यक्रम से वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के सभी
कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक एवं अन्नदाता किसान जुड़े रहे।
मुख्यमंत्री जी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह जी की पावन पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का उद्देश्य ‘लैब टू लैण्ड’ है, अर्थात लैब में जो प्रयोग किये जा रहे हैं, वह धरातल पर साकार होते हुए दिखाई दें। यह एक अभिनव पहल है। इसके अन्तर्गत देश के कृषि वैज्ञानिक अपने संस्थानों से निकलकर जमीन पर अन्नदाता किसानों के साथ कृषि की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक रणनीति के साथ कार्य करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज से लेकर 12 जून तक यह अभियान संचालित होगा। प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने की आधारशिला कृषि बन सके, इस दृष्टि से आई0सी0ए0आर0, देश के कृषि वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी व कार्मिक अन्नदाता किसानों को खेती-किसानी के बारे में आधुनिक जानकारी उपलब्ध कराने के एक बड़े अभियान से जुड़ रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक स्थानीय क्लाइमेटिक जोन तथा भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप उपयोगी बीजों, फसलों तथा बुआई के लिए उपयुक्त सही समय आदि के सम्बन्ध में किसानों को जानकारी देंगे। अन्नदाता किसानों को इस बात की जानकारी भी देंगे कि जल्दी तथा देर से बुआई का क्या असर पैदावार पर पड़ता है।
विगत 10 से 11 वर्षों में देश में बहुत परिवर्तन आए हैं। वर्ष 2014-15 में अन्नदाता किसानों को गेहूं का मूल्य 1,000 रुपये प्रति कुन्तल से भी कम मिलता था। इस वर्ष गेहूं की एम0एस0पी0 2,425 रुपये प्रति कुन्तल है। बाजार में गेहूं का मूल्य अन्नदाता किसानों को 2,800 रुपये प्रति कुन्तल भी मिला है। विगत 08 वर्षों में डबल इंजन सरकार ने प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश में खेती-किसानी के विकास तथा अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन करने के एक बड़े अभियान को प्रारम्भ किया है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में अनन्त सम्भावनाएं हैं। राज्य पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 10 से 11 प्रतिशत राज्य में है। इसी भूमि से उत्तर प्रदेश देश के कुल खाद्यान्न का 22 से 23 प्रतिशत उत्पादित करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बीच के कालखण्ड में किसान सरकार के एजेण्डे का हिस्सा नहीं थे। उस समय किसानों को समय पर बीज, खाद, सिंचाई, स्वॉयल हेल्थ कार्ड एवं तकनीक आदि की सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं। किसानों की लागत कम हो तथा उत्पादन ज्यादा हो, इस बात पर कोई जोर नहीं दिया जाता था। प्रधानमंत्री जी के एजेण्डे में प्रारम्भ से ही शीर्ष पर किसान और कृषि है। उन्होंने शुरुआत में ही स्वॉयल हेल्थ कार्ड का अभियान चलाया। इससे हर किसान को अपनी भूमि के स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा प्राप्त हुई। यह श्रृंखला आगे कृषि बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, एम0एस0पी0 का लाभ उपलब्ध कराने और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना तक आगे बढ़ी। आज इनका लाभ हमारे किसान ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई है। लगभग 15 लाख किसानों के निजी ट्यूबवेल के विद्युत कनेक्शन को निःशुल्क किया गया है। राज्य सरकार प्रतिवर्ष इसके लिए लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये का भुगतान करती है। सरयू नहर, बाणसागर तथा अर्जुन सहायक परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करते हुए डबल इंजन सरकार ने प्रदेश में 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है। सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाए गए हैं।
केन्द्र सरकार प्रदेश को कृषि विज्ञान केन्द्र देना चाहती थी, लेकिन पिछली सरकार इसके लिए उत्साहित नहीं थी। हमारी सरकार बनने पर प्रदेश में 20 नए कृषि विज्ञान केन्द्र लाने में सफलता प्राप्त हुई। आज यह सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में वर्तमान में कुल 89 कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं। प्रदेश में पहले चार कृषि विश्वविद्यालय थे। वर्तमान में पांचवा कृषि विश्वविद्यालय महात्मा बुद्ध के नाम पर कुशीनगर जनपद में स्थापित होने जा रहा है। प्रदेश में कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से नई तकनीक और नए बीजों की जानकारी अन्नदाता किसानों को प्राप्त हो रही है। कृषि विश्वविद्यालय भी एग्रीकल्चर के क्षेत्र में इनोवेशन तथा रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट के नए केन्द्र के रूप में उभरे हैं। यह सभी कार्य प्रदेश की प्रगति में सहायक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 के पहले किसानों को समय से गन्ने के मूल्य का भुगतान नहीं होता था। उन्हें पर्ची नहीं मिलती थी, जिससे उन्हें अपनी फसल में आग लगाने को मजबूर होना पड़ता था। वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2017 तक 22 वर्षों में गन्ना किसानों को जितना गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया, उससे 72 हजार करोड़ रुपये अधिक विगत 08 वर्षों में भुगतान किया गया है। इन वर्षों में 02 लाख 85 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान डी0बी0टी0 के माध्यम से प्रदेश के किसानों को किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमने बन्द हो चुकी चीनी मिलों को चलाने के साथ ही, नई चीनी मिलों की स्थापना भी की। पुरानी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाया गया। वर्ष 2017 के पहले प्रदेश में कोई चीनी मिल लगाने को तैयार नहीं था, आज हमारे पास नई चीनी मिल लगाने के प्रस्ताव आ रहे हैं। हमने उत्तर प्रदेश ने सर्वाधिक गन्ना पैदावार और सर्वाधिक चीनी उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया। सर्वाधिक एथेनॉल उत्पादक राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश को स्थापित करने में हमें सफलता प्राप्त हुई।
आज सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाले राज्य के रूप में भी उत्तर प्रदेश आगे बढ़ा है। औद्यानिक फसलों के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के किसानों को उनकी औद्यानिक उपजों का अच्छा दाम दिलाने के लिए पैक हाउसों के माध्यम से एक्सपोर्ट की सुविधा और सब्सिडी भी दी जा रही है। सब्जियों के क्षेत्र में भी हम आगे बढ़े हैं। इसका परिणाम है कि हमारा अन्नदाता किसान इसके माध्यम से अधिक मुनाफा अर्जित कर रहा है। हमारे प्रदेश के प्रगतिशील किसान रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट के नए उदाहरण बन रहे हैं। सर्वाधिक गन्ना, सर्वाधिक गेहूं और सर्वाधिक धान का उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसान प्रदेश में मौजूद हैं। प्रतिवर्ष हम ऐसे किसानों का सम्मान करते हैं।
हमें फसल के विविधीकरण की ओर भी ध्यान देना चाहिए। इसके माध्यम से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही सहफसली खेती को भी अपनाया जाना चाहिए। यह उत्पादन को बढ़ा सकती है और लागत को कम कर सकती है। इसके बारे में अभिनव प्रयास किए जाने की दिशा में ही विकसित कृषि संकल्प अभियान का शुभारम्भ किया गया है। इसके अन्तर्गत हमारे कृषि वैज्ञानिकों तथा किसानों के मध्य होने वाला संवाद देश में कृषि के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। यह कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रान्ति की शुरुआत करने जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने विकसित भारत की परिकल्पना को देश के समक्ष रखा है। उत्तर प्रदेश ने प्रधानमंत्री जी के विजन को साकार करने के लिए अगले चार वर्षों में अपनी अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। आज का कार्यक्रम इस दिशा में एक नया प्रयास है। यह कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाला साबित होगा। विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत 15 दिवसीय कार्यक्रम से उत्तर प्रदेश के सभी 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों, 826 विकासखण्ड मुख्यालयों और 8,137 किसान कल्याण केन्द्रों को जोड़कर व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के साथ ही, पूरे देश में कृषि के क्षेत्र में एक नया क्रान्तिकारी परिवर्तन हम सभी को देखने को मिलेगा। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में विकसित कृषि संकल्प अभियान निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के किसानों ने आधुनिक तकनीक को अपनाया और नए बीज अपनाए, जिससे उन्होंने अच्छी प्रगति की है। वह उत्पादन बढ़ाने तथा लागत को कम करने में सफल हुए हैं। मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान इस दिशा में अभी काफी पीछे हैं। विश्व बैंक की सहायता से प्रदेश में 4,000 करोड़ रुपये के ‘यू0पी0 एग्रीस’ प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया गया है, जिसमें पूर्वांचल एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 28 जनपदों को जोड़ा गया है। इसके अन्तर्गत किसानों को खेती की तकनीक से लेकर विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराए जाने का एक अभिनव प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रारम्भ किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में हमारे सामने जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है। मानसून लगभग 20 दिन पूर्व ही दस्तक दे रहा है। यह सम्भावना है कि बीच में एक समय ऐसा भी आएगा जब सूखा पड़ेगा। यह लगभग डेढ़ से दो महीने का समय होगा। उसके बाद फिर बारिश आएगी। उस समय की चुनौती का सामना हम किस प्रकार करेंगे, इसकी रणनीति भी हमें तैयार करनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन कृषि उत्पादन पर भी असर डालता है। यदि समय पर खेतों में अच्छी किस्म का बीज बो दिया जाए, तो अच्छा उत्पादन होता है। यदि बुआई में एक महीना विलम्ब हो, तो उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत का अन्तर आता है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि यदि हम देर से बुआई कर रहे हैं, तो हमें उस प्रकार के बीजों का उपयोग करना होगा। अच्छा बीज किसानों को समय से मिल सके, इसके लिए तैयारी करनी होगी। इस क्षेत्र में कौन सी सम्भावनाएं हैं, इसकी जानकारी भी किसानों को उपलब्ध करानी होगी। विगत 08 वर्षों में प्रदेश में मिलेट्स एवं दलहनी व तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ा है। इस दिशा में और क्या कार्य किये जा सकते हैं, हमें इसके लिए प्रयास करना चाहिए।
कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार किसानों की उन्नति के लिए सतत प्रयत्नशील है। विगत 08 वर्षां में कृषि के विकास के लिए प्रदेश में किये गये कार्यां से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का उद्देश्य अन्नदाता किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी देना, उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करना, बायोपेस्टीसाइड्स के प्रयोग को बढ़ावा देना तथा रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना है।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे0पी0एस0 राठौर, उद्यान एवं कृषि विपणन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह ओलख, गो-सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री दीपक कुमार, प्रमुख सचिव कृषि श्री रविन्द्र सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं किसान उपस्थित थे।
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