राजकुमार गुप्ता 
मथुरा।वृंदावन,धार्मिक ग्रंथो में मोक्षदायिनी कहीं जाने वाली मां यमुना की छाती धार्मिक नगरी में भारी मशीनों से खुलेआम छलनी की जा रही है। जबकि प्रशासन इसे सिल्ट उठने का ठेका बताकर पूरी तरह आंखे मूंदे हुए है। ऐसे  में यमुना भक्त और पतित पावनी मां यमुना को अपनी आस्था का प्रतीक बताने वाले संत भी  पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
जिसके चलते खनन माफिया साठ गांठ कर दोनों हाथों  से चांदी बटोरने में लगे हुए है।गौरतलब है कि भगवान श्री कृष्ण की पटरानी कहीं जाने वाली यमुना को धार्मिक दृष्टि से विशेष दर्जा प्राप्त है ।आज उसी यमुना की छाती चंद चांदी के सिक्कों के लिए भारी मशीनों से छलनी की जा रही है। पर्यावरण एवं धार्मिकता के अनुरूप उच्च न्यायालय के साथ-साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी यमुना से अवैध खनन पर पाबंदी लगा रखी है। बावजूद इसके अंधाधुंध कमाई के लिए खनन माफिया यमुना खादर में अवैध खनन से कतई बाज नहीं आ रहे है। नियमनुसार खनन विभाग की अनुमति के अलावा स्थानीय प्रशासन की अनुमति भी जरूरी है। बताया जाता है कि खनन माफियाओं ने सेटिंग गेटिंग के फार्मूले से वृंदावन के देवराह बाबा घाट के समीप यमुना में जमा सिल्ट को उठाने का ठेका लिया है। परमिशन के अनुसार  कुल 27980 घन मीटर सिल्ट  उठाने  की अनुमति दी गई है।जिसकी आड़ में भारी मशीनों से मां यमुना की छाती छलनी कर नियमों को ताक पर रखकर दर्जनों बड़े ट्रक और 40 से 50 टेक्ट्रर परिक्रमा से बालू लेकर जाते देखे जा सकते है। जिन्हे लगभग एक महीना के आसपास हो चुका है।सूत्रों की माने तो बड़े ट्रक से जाने वाली बालू की कीमत लगभग 6000 है जबकि टैक्टरो के माध्यम से बिक्री की जाने वाली बालू की कीमत 1000 से 1200 है। अब आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है। खनन माफियाओं की एक दिन कमाई कितनी होगी। यहा बताते चले की अगर जल्द ही मशीनों से होने वाले इस अवैध खनन के कारोबार पर एक नहीं लगाई गई तो, यमुना में जगह जगह बड़े गड्डे हो जाएंगे, जिससे यमुना में डूबने वाले लोगो की संख्या में भी इजाफा हो सकता है। ज्ञात रहे की गंगा दशहरा पर्व भी नजदीक है,इस दिन यमुना स्नान का भी एक अलग महत्व होता है।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने