रिपोर्ट शोभित अवस्थी 






बावन*  बावन ग्राम की ऐतिहासिक रामलीला के कार्यक्रम में अवध प्रांत मंत्री वि. हि.प. देवेंद्र मिश्रा  शिरकत की। मेला कमेटी के द्वारा अवध प्रांत मंत्री वि. हि. प. देवेंद्र मिश्रा, व विहिप जिला अध्यक्ष आशीष माहेश्वरी क्षेत्राधिकार हरपालपुर विनोद दुबे को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। अतिथियों ने राम लक्ष्मण के स्वरूप का विधिवत पूजन किया, जिला अध्यक्ष आशीष माहेश्वरी ने मेला कमेटी को भव्य आयोजन के लिए बधाई दी ,तथा रावण दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया मेले को शांति पूर्वक संपन्न कराने में क्षेत्र वासियों की सराहना की।इस दौरान मेला अवध प्रांत मंत्री विहिप देवेंद्र मिश्रा ने बताया कि बावन के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में प्रतिवर्ष रामलीला का आयोजन किया जाता है ये आयोजन करीब 150 साल से निरंतर किया जा रहा है,  रामलीला में बुधवार शाम को कुंभकरण, मेघनाथ, अहिरावण व रावण वध का मंचन किया गया। कुंभकरण के किरदार ने दर्शकों को खूब हंसाया। रावण वध होते ही पंडाल में जय श्रीराम के नारे गूंजने लगे।
कार्यक्रम की शुरुआत लक्ष्मण की मूर्च्छा टूटने से हुई। लक्ष्मण की मूर्च्छा टूटने का समाचार रावण के दरबार में पहुंचा तो रावण क्रोधित हुए और अपने भाई कुंभकरण के पास गए। छह माह से गहरी नींद में सोये कुंभकरण को नींद से उठाने के बाद रावण कुंभकरण को राम से युद्ध करने की बात कहते हैं। रावण व कुंभकरण में मार्मिक संवाद होता है। कुल की शान रखने के लिए कुंभकरण युद्ध में जाता है और भगवान राम के हाथों उसका वध हो जाता है। इसके बाद रावण पुन: मेघनाथ को युद्ध में भेजते हैं। पहले मेघनाथ अपनी कुल देवी की पूजा करने जाता है। यह सूचना जब भगवान राम के पास पहुंचती है तो वे लक्ष्मण व हनुमान जी को वहां भेजते हैं और मेघनाथ के हवन को सफल नहीं होने देते। इससे गुस्से में आए मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच भयंकर युद्ध होता है और मेघनाथ भी मारा जाता है।
मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण असहाय महसूस करता है और पाताल के राजा अहिरावण को भेजता है। अहिरावण मायावी शक्ति से श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल में ले आता है। हनुमान जी अहिरावण का वध करके श्रीराम और लक्ष्मण को बंधन मुक्त कर ले आते हैं। इसके बाद रावण अपने बेटे अतिकाय, नारांतक और देवांतक को युद्ध में भेजता है।
मगर, वे भी मारे जाते हैं। इस पर रावण खुद युद्ध की कमान संभालता है। श्रीराम व रावण में भयंकर युद्ध होता है। जब देर तक रावण हार नहीं मानता, तो श्रीराम विभीषण से वजह पूछते हैं। इस पर विभीषण रावण की नाभि में अमृत होने और वहां तीर मारने को कहते हैं। इसके बाद श्रीराम के हाथों रावण का वध हो जाता है। रावण का वध होते ही पंडाल जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठता है।  इस अवसर पर  मेला अध्यक्ष अवधेश राठौर, सौरभ अग्निहोत्री, अनिसुल हसन पूर्व प्रधान, सचिन शुक्ला, पुनीत मिश्रा,  ब्रजभूषण मिश्रा छुनना गुरूजी, संदीप शुक्ला,  शक्ति मिश्रा पत्रकार,, जितेन्द्र सिंह, भूपेंद्र अवस्थी, डा.अभिषेक शास्त्री, रिजवान खान, शानू खां,  नीशीत शुक्ला, अक्षतानन्दन मनु, महादेव कश्यप, शिशु मिश्रा, प. सुधीर मिश्रा, राजेश सिंह नेवादा, ने आदि भारी संख्या नन्हे मुन्ने बच्चे महिलाए  लोनार स्पेक्टर धर्मेंद्र गुप्ता, चौकी प्रभारी व्यास यादव कांस्टेबल प्रफुल्ल यादव, मनदीप, सतेंद् प्रताप, वीरपाल, तेजवीर  गोला, श्याम बिहारी, मदुसूदन राजपूत,आदि भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा

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