क्या हम मौत की सांस ले रहे हैं? जानते हैं साँस फूलना कितना घातक है  डॉ सुमित्रा अग्रवाल जी से 

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
कोलकाता

साँस लेने में दिक्कत होने का मतलब यह नहीं है कि कोई बीमारी जरूर ही होगी, एकाएक अधिक परिश्रम या दौड़ने भागने से भी सांस फूल जाता है, जो थोड़े समय के बाद अपने आप सामान्य हो जाता है। परन्तु सांस फूलना अपने आप में कोई बीमारी नहीं बल्कि किसी अन्य बीमारी का गम्भीर लक्षण जरूर है। इसलिए साँस फूलने की स्थिति में रोगी को चिकित्सक से तुरन्त सलाह लेनी चाहिए, ताकि वास्तविक बीमारी को जानकर उसका इलाज किया जा सके। 

साँस फूलना किसे कहते हैं -

आम तौर पर हम एक मिनट में २० बार साँस लेते हैं, अगर साँस लेने की यह गति बढ़ जाये और हमें साँस लेने में दिक्कत या परेशानी महसूस होने लगे तो इसे साँस फूलना मानना चाहिए। यह स्थिति कम या अधिक गम्भीर भी हो सकती है। कुछ रोगों की कम चलने यहाँ तक की  बैठे रहने पर भी साँस फूल सकता है।

साँस फूलने से जुड़े अन्य लक्षण -

१। साँस फूलने पर कुछ लोग बताते हैं कि वह पूरा साँस नहीं ले पा रहे हैं, कुछ छाती में सिकुड़न या वजन महसूस करते हैं, तो कुछ 'सीने में जलन' से परेशान रहा करते हैं। ये सब लक्षण भिन्न-भिन्न होने पर भी वास्तव में एक ही लक्षण के विभिन्न रूप होते हैं । 
२। बायीं या दायीं तरफ लेटने से साँस फूलना हृदय रोग का लक्षण है। 
३। सांस फूलने के दौरे बार-बार पड़ें तो इसका दूसरा सम्बन्ध हृदय रोग या दमा से समझना चाहिए। 
४। अगर साँस फूलना कुछ हफ्ते से कुछ महीनों तक जारी रहे तो इसका कारण रक्त की कमी, मोटापा, गर्भावस्था, हृदय रोग या फेफड़े के किसी भाग में पानी जैसा कुछ भी हो सकता है। 

साँस फूलने के कारण -

सांस फूलने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे दिल की बीमारी, फेफड़े की बीमारी, चिन्ता या मानसिक तनाव, रक्त की कमी, मोटापा, पक्षाघात की बीमारी, पुरानी खाँसी, फेफड़ों में गर्द व धातुकण जमा होने से भी साँस फूलने लगता है। कैंसर पीड़ित रोगियों में साँस फूलना वर्षों तक चलता रहता है। गुर्दे की खराबी व मधुमेह के मरीजों का अचेतन अवस्था में चले जाना इत्यादि।

एकाएक साँस का दौरा 

अगर साँस का दौरा एकाएक पड़ जाये तो आम तौर पर इसका सम्बन्ध दिल की बीमारी, फेफड़े की बीमारी या किसी कारण साँस की नली के अवरुद्ध होने से होता है। 

रात को पड़ने वाला साँस का दौरा -
रात को पड़ने वाले दौरों का सम्बन्ध दिल की बीमारी, दमा या अधिक रक्तचाप से होता है।

साँस फूलने से सम्बंधित महत्वपूर्ण बात 

१। साँस फूल जाने मात्र से यह नहीं मान लेना चाहिए कि व्यक्ति को दिल की बीमारी हो गई है। दिल की बीमारी के रोगियों का साँस थोड़े से परिश्रम से ही फूलने लगता है जबकि स्वस्थ व्यक्ति को काफी मेहनत करने पर ऐसा होता है। 
२। हृदय रोग की भीषणता जैसे-जैसे बढ़ जाती है, वैसे-वैसे इन रोगों के रोगी का साँस थोड़े से परिश्रम से भी फूलने लगता है । 
३। बाद में ऐसी स्थिति आ जाती है जब बैठे रहने पर भी साँस फूलने लगता है। ऐसा रात में अधिक होता है। 
४। साँस की यह बीमारी नींद नहीं आने देती। फेफड़े की बीमारी के कारण अगर साँस फूलता है तो खाँसी के साथ बलगम निकल जाने पर साँस फूलने से राहत मिल जाती है ।

उपचार 

इलाज उस रोग का होना चाहिए, जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई है। चूँकि उसका निर्णय डॉक्टर ही कर सकते हैं अतः मेरा सुझाव है कि साँस फूलना शुरू होते ही चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

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