हिंदीसंवाद ब्यूरो चीफ प्रीतम शुक्ला की रिपोर्ट

निजी स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की प्रति वर्ष समीक्षा करे सरकार-इलाहाबाद HC ने दिए निर्देश


Allahabad HC: अभी ऐसे सभी निजी स्कूलों को वर्ष 2013 में नियत किये गए साढ़े 450 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से ही दिया जाता है. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को प्रति साल प्रतिपूर्ति की समीक्षा करनी चाहिए...


लखनऊ:  इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निःशुल्क शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की हर साल समीक्षा करने का आदेश दिया है.  सभी Private स्कूलों को वर्ष 2013 में नियत साढ़े 450 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से दिया जाता है.  महंगाई बढ़ने के साथ फीस प्रतिपूर्ति बढ़ाने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है.


लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत, मुफ्त शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति (Fee Reimbursement ) की हर वर्ष समीक्षा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को प्रति साल प्रतिपूर्ति की समीक्षा करनी चाहिए.


स्कूलों को प्रतिवर्ष नियत प्रतिपूर्ति नियमित रूप से प्रदान की जाए

कोर्ट ने कहा कि हर कैलेंडर साल के 30 सितंबर को सरकारी और स्थानीय निकायों द्वारा संचालित स्कूलों के कुल स्टूडेंट अनुपात को उन पर हर वर्ष किये जाने वाले सरकारी खर्चे से विभाजित करके आने वाली राशि को ध्यान में रखकर प्रतिपूर्ति तय की जाए. कोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि ऐसे स्कूलों को प्रतिवर्ष नियत प्रतिपूर्ति नियमित रूप से प्रदान की जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने लखनऊ एजूकेशन एंड ऐस्थेटिक डेवलपमेंट सोसायटी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. 


कोर्ट ने की सरकार पर टिप्पणी

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि  एक ओर तो सरकार अधिनियम की मंशा के अनुरूप पर्याप्त संख्या में स्कूलों की स्थापना नहीं कर पा रही है और दूसरी ओर जो स्कूल आरटीई के तहत अपना दायित्व निभा रहे हैं, उन्हें फीस की प्रतिपूर्ति करने में भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

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