उतरौला(बवरामपुर) रमजान शरीफ की 27 वीं की शब शबे कद्र पर रोजेदारों ने पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे।इस दौरान नमाजे नफिल,तस्बीह व कुरआन पाक की तिलावत की गई। जामा मस्जिद उतरौला में इमामे तरावीह हज़रत मौलाना हाफ़िज़ व कारी मुहम्मद अख्तर रज़ा क़ादरी ने 27 वीं शब में कुराने करीम का दौर मुकम्मल किया इस मौक़ा पर मुंअकिद तक़रीब को ख़िताब करते हुए इमामे जामा मस्जिद ने कहा कि कुराने करीम और रमज़ान का आपस में गहरा ताअल्लुक़ है जम्हूर मुफस्सिरीन और मुहद्दिसीन के मुताबिक़ कुराने पाक माहे रमज़ान शबे क़द्र में एक बार्गी लौहे महफूज़ से आसमानी दुनिया पर नाज़िल हुआ ।
उसके बाद हस्बे ज़रूरत थोड़ा थोड़ा 23 बरस के अरसा में हुज़ूरे अकरम पर पूरा कुरान उतरा ,कुरान शरीफ का पढ़ना और सुनना
दोनों इबादत है जमा अत के साथ नमाज़े तरावीह पढ़ने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि हर किसी को कलामे इलाही सुनने का मौक़ा मिल जाता है मोसूफ़ ने कहा कि रमज़ान शरीफ के अंदर हर शब बीस रकाअत तरावीह की नमाज़ अदा करना सुन्नते मो'अक्किदा है और तरावीह में एक कुरान मुकम्मल करना दूसरी अज़ीम सुन्नत है जो लोग खत्मे कुरान के बाद तरावीह छोड़ देते हैं वो गुन्हगार होते हैं इस लिए नमाज़े तरावीह की अदायगी का सिलसिला रमज़ान भर जारी रहना चाहिए इस मौक़े पर कारी शफीउद्दीन साहब ने तिलावते कुरान से महफ़िल का आग़ाज़ किया और कारी गुलाम जिलानी ने नात पेश की इस मौक़ा पर मस्जिद के ज़िम्मादारान अल्हाज ख्वाजा मुहम्मद सगीर व हाजी मुज़म्मिल हसन व दीगर लोगों ने इमामे तरावीह की गुल पोशी कर के उनकी हौसला अफ़ज़ाई की-
सलातो सलाम के बाद सुन्नी जामा मस्जिद के इमाम कारी मुहम्मद अख्तर रज़ा जामई की दुआ पर तक़रीब का इख़्तेताम हुआ ।
इस मौक़े पर हकीम सैय्यद शबीहुलहसन मास्टर मुहम्मद शमीम रज़ा हाफ़िज़ मुहम्मद मुबाशशिर रज़ा हाफ़िज़ नियाज़ अहमद डॉ सल्लू डॉ इम्तियाज़ मुईन सिददीकी.लाल बाबू अहमद अकबर अली खान सलीमुद्दीन खान आमिर हुसैन इदरीसी समेत कसीर तादाद में मुसल्लियाने मस्जिद मौजूद थे।
असग़र अली
उतरौला
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