जलालपुर/अंबेडकर नगर, विशेष संवाददाता।
सिंचाई व्यवस्था के सुधार और जल प्रबंधन की नीतियों को जमीनी अनुभवों से जोड़ने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए, नई दिल्ली स्थित सेंट्रल वॉटर कमिशन की एक विशेषज्ञ टीम ने अंबेडकर नगर जिले के अरई ग्रामसभा में सर्वेक्षण किया। चार सदस्यीय यह टीम किसानों से सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से क्षेत्र में पहुँची थी, ताकि नहर प्रणाली के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को प्रत्यक्ष रूप से समझा जा सके।
नई दिल्ली से आई इस टीम में शामिल थे – योगेश चौहान, अरविंद जी, सुभाष भाल और राम लखन, जो सिंचाई विभाग (सर्वेक्षण प्रभाग) से संबद्ध हैं। इन अधिकारियों ने खेतों में जाकर और चौपाल पर बैठकर लगभग 60 किसानों से बातचीत की, उनकी समस्याएं सुनीं और सुझावों को संकलित किया।
सर्वेक्षण के दौरान किसानों ने खुलकर बताया कि नहरों की सफाई समय पर नहीं होती, जल वितरण असमान रहता है और कई स्थानों पर वर्षों से मरम्मत का इंतज़ार हो रहा है। कुछ किसानों ने तकनीकी समाधान की भी मांग रखी — जैसे भूमिगत पाइपलाइन सिस्टम और डिजिटल मॉनिटरिंग व्यवस्था। टीम ने इन सभी बातों को संज्ञान में लेते हुए स्पष्ट किया कि किसानों की यह प्रतिक्रियाएं बिना किसी संशोधन के सीधे शासन को भेजी जाएंगी, जिससे आगामी योजनाएं व्यावहारिक और क्षेत्रीय ज़रूरतों पर आधारित हो सकें।
इस अवसर पर अंबेडकर नगर के सिंचाई विभाग की स्थानीय टीम भी सक्रिय रूप से उपस्थित रही। जूनियर इंजीनियर सोनू शर्मा, सींचपाल शिवकुमार, जिलेदार केशव प्रसाद और बेलदार राकेश कुमार ने क्षेत्र की नहर व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर जानकारी साझा की और तकनीकी बिंदुओं को केंद्रीय अधिकारियों के सामने रखा।
कार्यक्रम को सफल और व्यवस्थित रूप देने में ग्राम सभा के समाजसेवी और प्रेरणास्रोत युवा संदीप यादव की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। संदीप यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों को एकत्र किया गया, उन्हें सर्वेक्षण के उद्देश्य की जानकारी दी गई और संवाद प्रक्रिया को सहज एवं सार्थक बनाया गया।
ग्रामसभा अरई के सम्मानित नागरिकों ने भी इस अवसर पर अपनी जिम्मेदार भागीदारी निभाई। प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव और शिवकुमार वर्मा जैसे शिक्षाविदों के साथ-साथ अंश यादव, सनौवर खान, रंजीत यादव, राजेंद्र यादव, लकी श्रीवास्तव, डॉ. गौरव श्रीवास्तव, मोहम्मद आलम, डॉ. अलीजान और आशाराम यादव सहित कई जागरूक ग्रामीण उपस्थित रहे। इन सभी ने क्षेत्र की सिंचाई संबंधी जरूरतों और चुनौतियों को स्पष्टता से टीम के समक्ष रखा।
इस सर्वेक्षण ने ग्रामीणों में नई उम्मीद जगाई है। लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान की आस अब शासन स्तर पर बन रही इस संवाद की सीढ़ी से और प्रबल होती दिखाई दे रही है। वहीं टीम ने आश्वस्त किया कि यह दौरा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि सुधार के ठोस आधार की तैयारी है।
नहरों से सिंचित होते खेत, और खेतों से समृद्ध होते किसान — इस चक्र को सशक्त बनाने की दिशा में यह दौरा एक सार्थक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ नीति निर्माण अब कागजों से निकलकर खेतों की धूल और किसानों की आवाज़ से जुड़ रहा है।
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