18 जिलों के 22 गांवों में दशकों से लंबित चकबंदी दो माह में पूरी

 

- सीएम योगी के निर्देश पर चकबंदी विभाग ने दिखाई तेजी

 

- कहीं 48 तो कहीं 52 साल से लटकी पड़ी थी चकबंदी की प्रक्रिया

 

- विभाग ने अभियान चलाकर चकबंदी प्रक्रिया पूरी करके बनाया रिकॉर्ड

 

- ग्राम अदालतों के जरिए वादों का भी त्वरित निस्तारण करा रहा चकबंदी विभाग

 

- किसानों को प्राप्त होंगे नये एवं शुद्ध राजस्व अभिलेख, सरकारी योजनाओं का आसानी से मिलेगा लाभ

 

लखनऊ, 24 जून: योगी सरकार अन्नदाताओं के हितों के लिए लगातार आवश्यक कदम उठा रही है। इसी के तहत योगी सरकार किसानों के खेत की सीमा संबंधी विवादों को सुलझाने, गांवों को विकास से जोड़ने, सरकारी योजनाओं का लाभ देने एवं सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए लगातार अभियान चलाकर गांवों में चकबंदी करा रही है। इतना ही नहीं सीएम योगी के निर्देश पर गांवाें में ग्राम अदालत लगाकर वादों को त्वरित निस्तारण किया जा रहा है। सीएम योगी की मॉनीटरिंग का ही नतीजा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में महज दो माह में प्रदेश के 18 जिलों के 22 ग्रामों में अब तक चकबंदी करायी जा चुकी है। इनमें जौनपुर के ढेमा गांव में 52 वर्ष से चकबंदी प्रक्रियाधीन थी। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के 781 गांवों में चकबंदी करायी गयी।

 

जौनपुर के ढेमा गांव में 52 वर्ष से लंबित चकबंदी प्रक्रिया पूरी

चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्नदाताओं के खेत संबंधी विवादों को पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण तरीके से निपटाने के लिए चकबंदी कराने के निर्देश दिये थे। उन्होंने इसके निस्तारण के लिए अभियान और ग्राम अदालत लगाने के निर्देश दिये थे। इसी क्रम में इस वित्तीय वर्ष में मात्र दो माह में 22 ग्रामों में चकबंदी करायी जा चुकी है। इनमें जौनपुर, महराजगंज, देवरिया और बस्ती के दो-दो गांवों में चकबंदी करायी गई। वहीं सुल्तानपुर, बरेली, बुलंदशहर, हरदोई, बलिया, औरैया, फिरोजाबाद, गोरखपुर, संतकबीरनगर, कौशांबी, प्रयागराज, गाजीपुर, बिजनौर और लखीमपुर खीरी के एक-एक गांव में चकबंदी करायी गयी। इनमें से जौनपुर के ढेमा गांव में 52 वर्ष से चकबंदी प्रक्रियाधीन थी। इसके अलावा इन गांवों में 8 साल से लेकर 48 वर्षों से चकबंदी प्रक्रियाधीन थी। वहीं विभाग ने लखीमपुर खीरी के लोधौरा में महज सात माह में चकबंदी समाप्त कर कीर्तिमान स्थापित किया है। यहां की जनता ने 21 अगस्त 2023 को चकबंदी कराने के लिए आवेदन किया गया था, जिसके बाद विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महज सात महीने में ही पूरी प्रक्रिया को संपन्न कराया।

 

इस वित्तीय वर्ष में 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित चकबंदी प्रक्रिया गांवों पर विशेष फोकस

चकबंदी आयुक्त ने बताया कि प्रदेश के 6 जिलों के 14 गांवों में किसानों के विरोध के चलते करीब 8 से 15 वर्षों से लंबित चकबंदी प्रक्रिया को समाप्त कराया गया। इनमें बिजनौर के 6, फिरोजाबाद के 3, हापुड़ के 2 गांव में चकबंदी करायी गयी। वहीं औरैया, कासगंज और बुलंदशहर में चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण की गयी। इसके अलावा मथुरा के ग्राम बंदी में वर्ष 1989 से हाइकोर्ट के आदेश से अवरूद्ध चकबंदी को 43 वर्ष बाद पूरा किया गया। इसी तरह सुल्तानपुर के ग्राम मालापुरम जगदीशपुर में वर्ष 1969 में शुरू हुई चकबंदी को इस माह जून में 55 वर्षों के बाद चकबंदी को पूरा किया गया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रदेश के जिन गांवों में चकबंदी प्रक्रिया 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित है, वहां अभियान चलाकर चकबंदी कराने के निर्देश दिये। इस क्रम में 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित चकबंदी प्रक्रिया के गांवों की लिस्ट तैयार की जा रही है। जल्द ही इन जिलों के सभी गांवों में चकबंदी शुरू कर दी जाएगी। इससे किसानों को नये एवं शुद्ध राजस्व अभिलेख प्राप्त होंगे। इसके जरिये ग्रामवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।

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